भारत के सबसे महान धावक मिल्खा सिंह हमारे बीच में नहीं है लेकिन आज उनके जन्मदिवस पर देश के लाखों लोग उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। पिछले साल मिल्खा सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। वे फ्लाइंग सिख के नाम से भी मशहूर थे। खेल की दुनिया में मिल्खा सिंह का नाम आदर और सम्मान से लिया जाता है। वे ऐसे पहले धावक थे जिन्होंने आजादी के बाद भारत को खेल में दुनिया में पहचान दिलाई। ट्रैक पर दौड़ को लेकर मिल्खा सिंह को हमेशा याद किया जाता रहेगा। उनका जन्म 20 नवंबर 1929 को मुजफ्फरगढ़ जिले के एक गांव गोबिंदपुरा में हुआ था, जो अब अविभाजित भारत में पाकिस्तान में है। उनके पूर्वज राजस्थान के रहने वाले थे। वह अपने माता-पिता की दूसरी सबसे छोटी संतान थे और खराब स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण अपने 14 भाई-बहनों में से आधे को खो देंगे। उनका बचपन गरीबी में बीता। भारत के विभाजन के दौरान, वह अनाथ हो गए थे और 1947 में पाकिस्तान से भारत आ गए। भारतीय सेना में शामिल होने से पहले, उन्होंने सड़क के किनारे एक रेस्तरां में काम करके अपना जीवनयापन किया। उनका विवाह निर्मल कौर से हुआ था। वह भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान थीं। उन्होंने 1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलंपिक खेल में भाग लिया। 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए। इसी साल टोक्यो में हुए एशियन गेम्स में 200 मीटर, 400 मीटर की रेस और कॉमनवेल्थ गेम्स में 400 मीटर की रेस में गोल्ड मेडल जीते। सबसे दुखद क्षण तब आया जब वह रोम में 1960 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में फोटो फिनिश में चौथे स्थान पर रहे। मिल्खा सिंह 1960 में ही पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ के लिए गए और वहां के सबसे तेज एथलीट अब्दुल खालिक हरा दिया। उनके शानदार प्रदर्शन को देखकर पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘द फ्लाइंग सिख’ नाम दिया। 1964 में टोक्यो में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में, उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया। मिल्खा ने भारत के लिए कई पदक जीते हैं, लेकिन रोम ओलंपिक में उनके पदक से चूकने की कहानी लोगों को आज भी याद है। अपने करियर के दौरान उन्होंने करीब 75 रेस जीती। वह 1960 रोम ओलंपिक में 400 मीटर की रेस में चौथे नंबर पर रहे। मिल्खा सिंह भले ही रोम ओलंपिक में मेडल जीतने में नाकाम रहे हों लेकिन उन्होंने उस दिन लाखों लोगों का दिल जीत लिया था। साथ ही नेशनल रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था, जो एक शानदार अचीवमेंट था। मिल्खा इस ओलंपिक में 400 मीटर की रेस में महज 0.1 सेकंड के अंतर से चौथे नंबर पर रहे। उन्हें 45.73 सेकेंड का वक्त लगा, जो 40 साल तक नेशनल रिकॉर्ड रहा। मिल्खा सिंह को बेहतर प्रदर्शन के लिए 1959 में पद्म अवार्ड से सम्मानित किया गया है, और 2001 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था। महान धावक मिल्खा सिंह के ऊपर 2013 में बॉलीवुड फिल्म आई, ‘भाग मिल्खा भाग’। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी और काफी सराही गई थी। फिल्म में मिल्खा सिंह के अनाथ होने से लेकर महानतम एथलीट बनने तक की पूरी कहानी दिखाई गई है। बॉलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर ने इस फिल्म में ‘द फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह की भूमिका निभाई थी। भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह का पिछले साल 18 जून साल 2021 को चंडीगढ़ में 91 साल की आयु में निधन हो गया है। मिल्खा सिंह के परिवार में तीन बेटियां डॉ मोना सिंह, अलीजा ग्रोवर, सोनिया सांवल्का और बेटा जीव मिल्खा सिंह हैं। गोल्फर जीव, जो 14 बार के अंतरराष्ट्रीय विजेता हैं, भी अपने पिता की तरह पद्म श्री पुरस्कार विजेता हैं।