शनिवार 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पूरी देवभूमि योगमय नजर आई । योग दिवस पर उत्तराखंड के नागरिक योगाभ्यास कर रहे थे कि उसी दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की डुगडुगी भी बजा दी गई। इस पंचायत चुनाव की तारीखों को लेकर पिछले लंबे समय से लोगों में बेसब्री से इंतजार था। अब उत्तराखंड में गांवों की सरकार बनने के लिए तैयारी शुरू हो गई है । शनिवार को उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है।
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया है कि मतदान दो चरणों में होगा। पहला चरण 10 जुलाई को और दूसरा चरण 15 जुलाई को होगा। पंचायत चुनाव के परिणाम 19 जुलाई को घोषित किए जाएंगे। उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में वैसे तो अभी करीब दो साल का समय है। उससे पहले ये पंचायत चुनाव हो रहे हैं। इनके नतीजे एक तरह से मौजूदा भाजपा सरकार और पुष्कर सिंह धामी सरकार की परीक्षा की तरह होंगे। उत्तराखंड में हरिद्वार जिला छोड़ प्रदेश के अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने संबंधित अधिसूचना जारी की गई। उत्तराखंड शासन की ओर से चुनावी कार्यक्रम की अधिसूचना जारी होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार को प्रेसवार्ता को संबोधित किया। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग को भी भेज दिया था। ऐसे में पंचायती राज सचिव की ओर से चुनावी अधिसूचना 21 जून को जारी होने के बाद अब जिला निर्वाचन अधिकारी 23 जून को चुनाव की सूचना जारी करेंगे। जारी अधिसूचना के अनुसार, प्रदेश में दो चरणों में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। साथ ही 19 जुलाई को एक साथ मतगणना होगी। आज से आचार संहिता लागू हो गई है। अब 23 जून को सभी जिलाधिकारियों द्वारा अपने-अपने जिलों में अधिसूचना जारी करना है। नामांकन प्रक्रिया 25 जून से 28 जून तक चलेगी, जो प्रतिदिन सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक संचालित होगी।नामांकन पत्रों की जांच 29 जून से 1 जुलाई तक की जाएगी। इसके बाद 2 जुलाई को उम्मीदवार अपने नाम वापस ले सकेंगे। पंचायत चुनाव दो चरणों में कराए जाएंगे। पहले चरण का प्रतीक आवंटन तीन जुलाई को होगा और मतदान 10 जुलाई को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक संपन्न होगा। दूसरे चरण का प्रतीक आवंटन 8 जुलाई को होगा, और मतदान 15 जुलाई को होगा। पूरी चुनाव प्रक्रिया की मतगणना 19 जुलाई 2025 को होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों को चुनाव की निष्पक्षता और सफल संचालन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
पंचायत चुनाव की तारीखों के एलान होते ही प्रदेश में बढ़ी राजनीतिक सरगर्मियां–
पंचायत चुनाव की तारीखों के एलान होते ही गांव से लेकर जिला स्तर तक राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में चुनाव हो रहा है। ग्राम प्रधान, सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य के लिए चुनाव होगा। बता दें कि प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर पिछले लंबे समय से लगातार इस बात की मांग की जा रही थी कि प्रदेश में पंचायत चुनाव कर दिया जाए, लेकिन पंचायत चुनाव किन्हीं कारणों से लगातार टलते हुए नजर आ रहे थे। फिलहाल पंचायत चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही तैयार हैं। दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने नेताओं की रायशुमारी शुरू कर दी है और जल्द ही अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को मैदान में उतरने के लिए दोनों ही पार्टियों नाम का एलान भी करेंगी। उत्तराखंड में 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे, जिसके लिए आगामी पंचायत चुनावों को सेमी फाइनल माना जा रहा है। इसमें प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अभी से जोरआजमाइश कर रहीं हैं। अभी भाजपा सत्ता में है तो उसकी मजबूती साफ नजर आ रही है, कांग्रेस को भाजपा के मुकाबले के साथ पार्टी की अंतर्कलह से भी निपटना है। राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया कि पंचायत चुनाव में इस बार 47 लाख 77 हजार 72 कुल वोटर हैं। इनमें 24 लाख 65 हजार 702 पुरुष मतदाता हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 23 लाख 10 हजार 996 है। ये सभी पंचायत चुनाव में मतदान का प्रयोग करने के पात्र हैं। आयोग के मुताबिक, पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्यों के 55587, ग्राम पंचायत प्रधान के 7499, क्षेत्र पंचायत सदस्यों के 2974 और जिला पंचायत सदस्यों के 358 पदों के लिए मतदान होगा। सुचारु मतदान के लिए कुल 8276 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान स्थलों की कुल संख्या 10529 है। राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम पंचायत सदस्य पद के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम चुनाव खर्च की सीमा 10,000 रुपये खर्च तय की है। ग्राम प्रधान पद के लिए चुनावी खर्च की सीमा पहले 50 हजार रुपये थी, जो अब 75 हजार रुपए कर दी गई है। क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के उम्मीदवार अब पहले के तय 50 हजार रुपये के बजाय 75 हजार रुपये खर्च कर सकेंगे। जिला पंचायत सदस्य के लिए एक लाख 40 हजार रुपये की सीमा निर्धारित थी, जिसे बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है।