इस बार पूरे देश भर में मौसम और मानसून का गणित गड़बड़ाया हुआ है। मई जून के महीने में आमतौर पर भीषण गर्मी और लू चलती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। पिछले करीब डेढ़ महीने से अधिकांश राज्यों में मौसम सुहाना और बारिश हुई। हालांकि 2 दिनों से कुछ जरूर गर्मी हुई है। लेकिन अभी भी उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान में मौसम राहत बनाए हुए हैं। ऐसे ही इस बार मानसून को लेकर मौसम विभाग सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पा रहा है। पहले बताया गया था कि 4 जून को केरल में मानसून दस्तक दे देगा। लेकिन अब मौसम विभाग ने 10 जून के बाद मानसून का अनुमान लगाया है। इस प्रकार मौसम और मानसून की राह भटक गई है। इस बीच अब देश में एक और चक्रवाती तूफान ने डराना शुरू कर दिया है। गुजरात के पोरबंदर के दक्षिण में दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में एक दबाव उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। जिसकी वजह से अरब सागर में एक चक्रवाती तूफान की आशंका है। मौसम विभाग की मानें तो आज, 6 जून की सुबह साढ़े पांच बजे के करीब दबाव गोवा से पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में 920 किलोमीटर, मुबंई से 1,120 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम, पोरबंदर से 1,160 किलोमीटर दक्षिण और कराची से 1,520 किलोमीटर दक्षिण की तरफ था।
मौसम विभाग ने कहा कि अगले 24 घंटे के दौरान, दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के ऊपर बन रहा ये दवाब पूर्व-मध्य अरब सागर और इससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। सोमवार को कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव का सिस्टम बनने और इसके तेज होने से मानसून के केरल तट की ओर बढ़ने पर गंभीर असर पड़ने की उम्मीद है। अगर ये दबाव वाला क्षेत्र एक चक्रवात तूफान के रूप में तब्दील हो जाएगा, तो इसका नाम “बिपारजॉय” रखा जाएगा। मौसम विभाग ने बताया कि चक्रवाती तूफान के 8 जून की सुबह तक भीषण चक्रवाती तूफान में बदलने और शुक्रवार शाम तक प्रचंड रूप लेने की संभावना है। इसका सीधा असर केरल-कर्नाटक के तटों और लक्षद्वीप-मालदीव के इलाकों में देखने को मिलेगा। इसके साथ ही कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर 8 से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है। खतरे को देखते हुए समुद्र में गए मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी गई है। आईएमडी ने कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने और अगले दो दिनों में इसमें तेजी आने के कारण चक्रवाती हवाएं मानसून के केरल तट की ओर आगमन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख नहीं बताई गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून की केरल में देरी से एंट्री का मतलब यह नहीं है कि वह देश के अन्य हिस्सों में भी देरी से पहुंचेगा। यह देश में बारिश के औसत आंकड़े को भी प्रभावित नहीं करेगा। मौसम विभाग ने जानकारी दी थी कि अल नीनो के बावजूद भी दक्षिण-पश्चिम मानसून से भारत में सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।