वातावरण में छाया उल्लास, बसंत उत्सव की बिखरी छटा देख मन हुआ जाय आनंदित - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
July 26, 2025
Daily Lok Manch
धर्म/अध्यात्म

वातावरण में छाया उल्लास, बसंत उत्सव की बिखरी छटा देख मन हुआ जाय आनंदित

वातावरण में उल्लास-उमंग छाया हुआ है। धार्मिक आस्था के साथ बसंत ऋतु ने भी अपनी दस्तक दे दी है। खेतों और बागों में पीले फूलों की अलग छटा बिखर रही है। हम बात कर बसंत पंचमी पर्व की। यह एक ऐसा पर्व है जो कई धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती माता की आराधना की जाती है। बसंत पंचमी का संबंध ज्ञान और शिक्षा से है। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है। बसंत पंचमी का दिन मांगलिक दृष्टि से भी शुभ मुहूर्त माना जाता है। नदियों में श्रद्धालु स्नान कर दान-पुण्य भी करते हैं। इसके साथ यह पर्व बसंत उत्सव का भी प्रतीक है। यानी खेतों में चारों ओर सरसों के पीले लहलहाते फूलों से वातावरण मन को आनंदित करते हैं। बता दें कि बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष के 5वें दिन यानी पंचमी तिथि को मनाई जाती है। शनिवार सुबह से ही प्रयागराज संगम, हरिद्वार और बनारस समेत कई नदियों में श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। वहीं इस बार बसंत पंचमी इसलिए भी बेहद शुभ मानी जा रही है, क्योंकि पंचमी तिथि पर त्रिवेणी योग बन रहा है । बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। बसंत पंचमी पर पीले रंग का विशेष महत्व है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने की भी परंपरा है। इस विशेष दिन शादियों के लिए अबूझ मुहूर्त है । इसके साथ गृह प्रवेश से लेकर शुभ कार्य भी के दृष्टि से भी बसंत पंचमी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बसंत पंचमी पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार है। ‌माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार, 5 फरवरी को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर, रविवार, 6 फरवरी को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है।

बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की पूजा-अर्चना करने की रही है परंपरा–

बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन माता सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है, उन्हें पीले वस्त्र भेंट किए जाते हैं। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। बसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से बुद्धि और ज्ञान का वरदान मिलता है। शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरुआत करने के लिए आज का दिन शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आरंभ होता है और सर्दी का जाना शुरू हो जाता है। सूर्य अपने पुराने तेवरों की ओर लौटने लगते हैं। इस दिन बसंत ऋतु का आरंभ होता है। वातावरण में नई उमंग दिखाई देने लगती है। सभी ऋतुओं में बसंत को सबसे खूबसूरत ऋतु माना गया है। खेतों और बागों में फूल खिलने शुरू हो जाते हैं। ‌खेतों में खिलते सरसों के पीले फूल लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वहीं दूसरी ओर ब्रज में भी बसंत के दिन से होली का उत्सव शुरू हो जाता है। राधा-गोविन्द के आनंद विनोद का उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव फाल्गुन की पूर्णिमा तक चलता है। इस दिन कामदेव और रति की पूजा भी होती है। बसंत कामदेव का सहचर है, इसलिए इस दिन कामदेव और रति की पूजा करके उनकी प्रसन्नता प्राप्त करनी चाहिए। इसी दिन किसान अपने खेतों से नया अन्न लाकर उसमें घी और मीठा मिलाकर उसे अग्नि, पितरों, देवों को अर्पण करते हैं। सरस्वती पूजन से पूर्व विधिपूर्वक कलश की स्थापना करनी चाहिए। सर्वप्रथम भगवान गणेश, सूर्य, विष्णु, शंकर आदि की पूजा करके सरस्वती पूजन करना चाहिए।

Related posts

11 अप्रैल, सोमवार का पंचांग और राशिफल

admin

12 मार्च, मंगलवार का पंचांग और राशिफल

admin

25 सितंबर, सोमवार का पंचांग और राशिफल

admin

Leave a Comment