- रक्षाबंधन पर 700 सालों बाद पड़ रहा पंच महायोग का दुर्लभ संयोग
- भद्रा काल होने से रक्षाबंधन पर दो सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
- Rakshabandhan 2023
- क्या होता है भद्रा काल
देशभर में इस बार रक्षाबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस बार भद्रा काल ने भाई-बहन का यह पावन त्योहार रक्षाबंधन दो दिन पड़ रहा है। हालांकि बाजारों और सड़कों पर रक्षाबंधन के त्योहार जैसा माहौल नजर आ रहा है। दुकानों में रक्षाबंधन की रौनक दिखाई दे रही है। लेकिन भाइयों की कलाई पर राखी सूत्र नहीं दिखाई दिया। इसकी वजह रही भद्रा काल होने से शुभ मुहूर्त का न होना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज छोटी बच्चियों से राखी बंधवाई । हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल नहीं होना चाहिए। इस बार 30 और 31 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व मनेगा।
दअसल, रक्षाबंधन पर भद्रा के चलते त्योहार दो तिथियों में बंट गया है। भद्रा काल 30 अगस्त को सुबह पूर्णिमा तिथि के साथ आरंभ हो गया है और रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। दो दिन इसलिए क्योंकि पूर्णिमा तिथि 30 को सुबह करीब 11 बजे से अगले दिन सुबह 7.37 तक रहेगी। “इसी कारण राखी बांधने के लिए दो मुहूर्त रहेंगे। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभागाध्यक्ष, प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री का कहना है कि रक्षाबंधन के लिए 30 अगस्त की रात में 9 बजे से 9.54 तक श्रेष्ठ मुहूर्त है, लेकिन 11.13 तक भी राखी बांध सकते हैं। वहीं, 31 को सुबह 6.30 से 7.37 तक रक्षाबंधन कर सकते हैं”।
700 साल बाद ऐसा संयोग बना है जब रक्षाबंधन के दिन पंच महायोग बन रहा है। इतना ही नहीं 30 अगस्त को रक्षाबंधन के पूरे दिन भद्रा काल भी रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार इस बार 30 अगस्त को सावन पूर्णिमा के दिन सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह मिलकर पंच महायोग का निर्माण कर रहे हैं। इन 5 ग्रहों की ऐसी स्थिति बुधादित्य, वासरपति, गजकेसरी और शश योग भी बनाएगी, जिससे रक्षाबंधन का शुभ फल कई गुना बढ़ सकता है। इस दिन भातृ वृद्धि योग भी बन रहा है, जिससे भाइयों की सुख समृद्धि और सुरक्षा बढ़ेगी। ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। 30 अगस्त को पूर्णिमा की शुरुआत के साथ ही भद्रा लग रही है और यह रात 9.02 बजे तक रहेगी। इसलिए रक्षाबंधन पर्व इसके बाद ही मनाना चाहिए। देश में अधिकांश गुरुवार 31 अगस्त को ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।
क्या है “भद्रा काल”
पंचांग में जब विष्टि करण होता है, तो वह भद्रा काल कहलाता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं और इन्हें पंचांग के काल गणना में विशेष स्थान दिया गया है, क्योंकि ये बहुत ही कठोर और उथल पुथल करने वाला काल माना जाता है।