नवरात्र और दीपावली जैसे बड़े त्योहारों से ठीक पहले मोदी सरकार ने देशवासियों को बड़ी सौगात दी है। केंद्र ने जीएसटी दरों में कटौती कर रोजमर्रा की जरूरतों से लेकर त्योहारों पर खरीदे जाने वाले कई सामानों को सस्ता कर दिया है। लंबे समय से महंगाई और भारी-भरकम टैक्स से परेशान लोगों को अब बड़ी राहत मिलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से जीएसटी कम करने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम सीधे तौर पर आम जनता की जेब पर से बोझ कम करने के लिए है। पीएम मोदी ने विशेष रूप से कहा कि “हमारी प्राथमिकता हमेशा जनता की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना रही है। त्योहारों के समय लोगों की खुशी और खरीदारी को बढ़ावा देना हमारा उद्देश्य है। इस फैसले से देशवासियों को राहत मिलेगी और बाजार में उत्साह लौटेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद बयान देते हुए कहा कि यह निर्णय आर्थिक परिस्थितियों और महंगाई की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “देशवासियों की रोजमर्रा की जरूरतों को देखते हुए आवश्यक वस्तुओं और त्योहारों पर खरीदे जाने वाले सामानों की जीएसटी दर में कटौती की गई है। इसका असर सीधे जनता की जेब पर पड़ेगा और लोगों को वास्तविक राहत मिलेगी।जीएसटी कम करने के बाद जहां भाजपा के नेताओं ने ऐतिहासिक फैसला बताया वहीं विपक्ष ने सवाल भी उठाए। जीएसटी स्लैब को सरल बनाकर केवल दो श्रेणियों, 5% और 18% में समाहित किया गया है, जबकि कुछ विशेष वस्तुओं के लिए 40% की दर निर्धारित की गई है। नवरात्र के पहले दिन 22 सितंबर से नई दरें पूरे देश में लागू होंगी। इससे न केवल आम आदमी की जेब पर से बोझ हल्का होगा, बल्कि बाजार में भी रौनक लौट आएगी और खरीदारी का उत्साह दोगुना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी में कटौती से त्योहारों पर खपत बढ़ेगी, व्यापार में तेजी आएगी और आम जनता को महंगाई से वास्तविक राहत मिलेगी। वाणिज्य और उद्योग जगत में भी इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि खरीदी बढ़ने से त्योहारों के सीजन में कारोबार को मजबूती मिलेगी और उपभोक्ताओं के लिए उत्पाद सस्ते होंगे। यही नहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के साथ ही बाजार में सकारात्मक भावना पैदा होगी। इस प्रकार मोदी सरकार का यह फैसला त्योहारों पर जनता और व्यापार दोनों के लिए राहत और उत्साह लेकर आया है। नवरात्र और दीपावली के समय लोग सस्ते और आसानी से उपलब्ध वस्तुओं के साथ त्योहार मना पाएंगे, जिससे देशवासियों के लिए त्योहारों का उत्साह और खुशी दोगुनी होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जीएसटी पर कटौती किए जाने के एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सराहनीय कदम बताया और जनता के लिए इसे बड़े तोहफे के रूप में पेश किया। पीएम मोदी ने कहा कि यह निर्णय सीधे तौर पर आम जनता की जेब पर से बोझ कम करने और त्योहारों के समय लोगों को राहत देने के लिए लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी सरकार हमेशा जनता के हित में फैसले लेती रही है। जीएसटी में कटौती का यह कदम महंगाई से राहत देने और बाजार में उत्साह लौटाने के उद्देश्य से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बार नवरात्र और दीपावली के मौके पर देशवासियों को सस्ती वस्तुएं उपलब्ध होंगी, जिससे त्योहारों की खुशी दोगुनी होगी। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मेहनती प्रयासों की भी तारीफ की और कहा कि सरकार का यह साझा फैसला देश की आर्थिक मजबूती और आम जनता की भलाई दोनों के लिए एक अहम कदम है। पीएम मोदी ने व्यापारियों और उद्योग जगत को भी भरोसा दिलाया कि नई जीएसटी दरों के लागू होने से बाजार में गतिविधियां बढ़ेंगी और त्योहारों के सीजन में खरीदारी को बढ़ावा मिलेगा। उनका मानना है कि इस निर्णय से न सिर्फ जनता को राहत मिलेगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी।
जीएसटी की दरें कम होने के बाद क्या-क्या चीज सस्ती होंगी–
नवरात्रि और दीपावली जैसे बड़े त्योहारों से पहले, मोदी सरकार ने माल और सेवा कर (जीएसटी) दरों में महत्वपूर्ण कटौती की है, जिससे कई सामान सस्ते हो जाएंगे। इसका उद्देश्य आम जनता को राहत देना और बाजार में रौनक लौटाना है। सस्ती होने वाली वस्तुएं। दूध, पनीर, रोटी, आटा, चावल, इन पर पहले 5% जीएसटी लगता था, अब ये पूरी तरह से शून्य (0%) जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। मसाले, तेल, घी, चीनी, आचार, नमकीन, बिस्कुट, आइसक्रीम, मिठाई, जूस, फल का रस: इन पर पहले 18% जीएसटी लगता था, अब ये 5% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। शैम्पू, साबुन, टैलकम पाउडर, टूथपेस्ट, हेयर ऑयल, फेस पाउडर, टूथब्रश: इन पर पहले 18% जीएसटी लगता था, अब ये 5% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। घरेलू उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक सामान। एयर कंडीशनर, टीवी, डिशवॉशर, फ्रिज, वॉशिंग मशीन। इन पर पहले 28% जीएसटी लगता था, अब ये 18% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। छोटी कार (पेट्रोल इंजन ≤ 1200 सीसी और लंबाई ≤ 4000 मिलीमीटर, डीजल इंजन ≤ 1500 सीसी और लंबाई ≤ 4000 मिलीमीटर): इन पर पहले 28% जीएसटी लगता था, अब ये 18% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। मोटरसाइकिल (≤ 350 सीसी): इन पर पहले 28% जीएसटी लगता था, अब ये 18% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। सीमेंट। इस पर पहले 28% जीएसटी लगता था, अब ये 18% जीएसटी के दायरे में आ गया है।मार्बल, ग्रेनाइट, ईंटें- इन पर पहले 12% जीएसटी लगता था, अब ये 5% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। कृषि उपकरण। ट्रैक्टर और ट्रैक्टर के पुर्जे: इन पर पहले 12% जीएसटी लगता था, अब ये 5% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। जीवन और स्वास्थ्य बीमा। इन पर पहले 18% जीएसटी लगता था, अब ये शून्य (0%) जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। दवाइयां चिकित्सा उपकरण, थर्मामीटर, मेडिकल ऑक्सीजन, ग्लूकोमीटर: इन पर पहले 12% या 18% जीएसटी लगता था, अब ये 5% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं।
जीएसटी कम होने के बाद कुछ वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं–
बड़े वाहन जैसे ट्रैक्टर, बसें और लंबी कारों पर पहले 28% जीएसटी लगता था, अब ये 40% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं, जिससे इनकी कीमतों में वृद्धि होगी। इसके अलावा, तंबाकू और तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर भी नई दरों के अनुसार कर बढ़ा दिया गया है, जिससे इनकी कीमतें महंगी होंगी। कुछ लक्ज़री और विशेष श्रेणी के सामान जिनकी कर दरें पहले 28% या 18% थीं, उनमें भी नए निर्धारण के अनुसार वृद्धि देखने को मिल सकती है।हालांकि आम जनता की दैनिक जरूरत की वस्तुएं जैसे दूध, आटा, रोटी, चावल, मसाले, तेल, घी, साबुन, शैम्पू, और स्वास्थ्य बीमा जैसी वस्तुएं सस्ती होंगी। बड़े वाहन, तंबाकू और विशेष श्रेणी के उत्पादों को छोड़कर अधिकांश चीजों में राहत ही दी गई है, ताकि त्योहारों के समय उपभोक्ताओं को वास्तविक लाभ मिल सके। नई जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी, जो नवरात्रि से पहले प्रभावी होंगी।
जीएसटी में सुधार पर विपक्ष ने देर से लिया गया फैसला बताया–
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों में की गई कटौती को लेकर विभिन्न विपक्षी नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ नेताओं ने इसे चुनावी रणनीति करार दिया है, जबकि अन्य ने इस कदम का स्वागत किया है। 2017 में राहुल गांधी ने जीएसटी को “गब्बर सिंह टैक्स” कहकर इसे विरोध का पात्र बनाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह कर संरचना जटिल और उपभोक्ता के लिए भारी बोझ बनकर आई है । राहुल गांधी ने जीएसटी कटौती को उनका पूर्व सुझाव बताते हुए इसे सकारात्मक बदलाव माना, लेकिन इसे अत्यधिक देर से आने वाला। अन्य विपक्षी नेताओं ने इस कदम का स्वागत करते हुए भी समय की देरी और राजनीतिक स्वार्थ की संभावनाओं पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने इस दर कटौती को राहुल गांधी के जीएसटी 2.0 दृष्टिकोण की जीत बताया। यह विचार 2018 में उनके ट्वीट में स्पष्ट था, जिसमें उन्होंने दो कर स्लैब,5% और 18% को अपनाने की वकालत की थी। कांग्रेस का कहना है कि केंद्र अब उनके प्रस्तावों का अनुसरण कर रहा है । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने “एक ही देश, नौ टैक्स” की प्रणाली बना दी थी, इस बदलाव को वह “आठ साल की सुस्ती के बाद जागने” जैसा करार देते हैं। उन्होंने राज्य सरकारों को राजस्व की हानि के लिए मुआवजे की मांग भी की है । पी. चिदंबरम ने इस फैसले का स्वागत किया, लेकिन कहा कि यह “8 साल देरी से” लिया गया बदलाव है। उन्होंने वर्तमान जीएसटी डिजाइन को ही शुरू में नहीं लाया जाना चाहिए था, क्योंकि उनसे वर्षों से यह दोष बताते रहे थे । पवन खेड़ा ने कटौती को राहुल गांधी की सलाह मानने से तुलना की और सवाल उठाया कि यह बदलाव लेट क्यों हुआ। ट्वीट में उन्होंने लिखा: “जब आखिरकार राहुल गांधी की सलाह माननी ही थी, तो इतना समय क्यों लिया। अन्य विपक्षी सांसद व राज्य नेता: विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार को दोष देते हुए कहा कि यह सुधार “बहुत देर से” किया गया और यह चुनावी लाभ के लिए आया होगा। वे यह भी आशंका जताते हैं कि राज्य फ्लेशन द्वारा प्रभावित हो सकते हैं और आर्थिक संकट की गहराई छिपाने की कोशिश की जा रही है ।
मोदी सरकार ने 1 जुलाई 2017 से देश में लागू किया था जीएसटी–
मोदी सरकार ने माल और सेवा कर (जीएसटी) को पूरे देश में 1 जुलाई 2017 से लागू किया था। यह भारत की सबसे बड़ी कर प्रणाली सुधार पहल थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों को एक ही कर के अंतर्गत समाहित करना और व्यापार को सरल बनाना था। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कहा था कि जीएसटी का उद्देश्य देश में “एक राष्ट्र, एक कर” का सिद्धांत लागू करना और व्यापारियों के लिए कर ढांचे को आसान बनाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने इस प्रणाली को सफल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए।
जीएसटी लागू होने के बाद भारत में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आया। इससे पहले केंद्र और राज्य अलग-अलग कर लगाते थे, जिससे व्यापारियों और आम जनता को कई स्तरों पर कर चुकाना पड़ता था। जीएसटी के आने से यह प्रक्रिया सरल हुई और देश के विभिन्न राज्यों के बीच माल और सेवाओं के लेन-देन में पारदर्शिता आई। वर्तमान सरकार ने जीएसटी में समय-समय पर सुधार और कटौती भी की है, जिससे जनता को राहत देने और बाजार में रौनक बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।