पिछले कुछ वर्षों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लॉन्ड्रिंग भ्रष्टाचार आदि मामलों में तेज गति से जांच कर रही है। ईडी की जांच में अधिकांश विपक्ष के नेता है। पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने राहुल गांधी, बंगाल की ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी शिवसेना नेता संजय राउत और उनकी पत्नी और इन दिनों कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ करने में लगी हुई है। यूपी की जांच पर विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस सवाल उठा रही है। विपक्ष का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी मोदी सरकार के इशारों पर काम कर रहे हैं। इसी को लेकर पिछले दिनों विपक्ष के कई नेताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सर्वोच्च अदालत ने आज ईडी की जांच प्रक्रिया को लेकर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ईडी के जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति को अटैच करने के अधिकार को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है। कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के उन प्रावधानों की वैधता को कायम रखा है, जिनके खिलाफ आपत्तियां लगाई गई थीं। दरअसल, विपक्ष ने याचिका दायर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों को कानून और संविधान के खिलाफ बताया था। वहीं आज सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दायर याचिका को रद करते हुए कानून को सही बताया है। कोर्ट ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है।

उसे मूल अपराध के साथ जोड़ कर ही देखने की दलील खारिज की जा रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं। इसके साथ ही बेंच ने कहा, आरोपी को ECIR (शिकायत की कॉपी) देना भी जरूरी नहीं है। यह काफी है कि आरोपी को यह बता दिया जाए कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है। कोर्ट ने बेल की कंडीशन को भी बरकरार रखा है। याचिका में बेल की मौजूदा शर्तों पर भी सवाल उठाया गया था। शीर्ष अदालत के इस फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। गौरतलब है कि कांग्रेस समेत कुल 242 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह फैसला सुनाया है। जस्टिन एएम खानविलकर, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने यह फैसला सुनाया। बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत 242 याचिकाकर्ताओं ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती दी थी।