आज 15 अगस्त को सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ बिंदेश्वर पाठक ने दुनिया को अलविदा कह दिया।बिंदेश्वर पाठक 80 साल के थे। डा. बिंदेश्वर पाठक का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। दिल्ली में कार्डियक अरेस्ट होने पर उन्हें दोपहर डेढ़ बजे एम्स की इमरजेंसी में लाया गया। आज दोपहर करीब 11 बजे राजधानी दिल्ली के सुलभ इंटरनेशनल के ऑफिस में ध्वाजारोहण के कार्यक्रम के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया। डाक्टरों ने उन्हें सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर धड़कन ठीक करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दो दिन पहले ही पहले ही उन्होंने पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। बिंदेश्वर पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिंदेश्वर पाठक के आकस्मिक निधन पर शोक जताया है। राष्ट्रपति ने ट्वीट करते हुए लिखा- सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक श्री बिन्देश्वर पाठक के निधन का समाचार अत्यंत दुखदाई है। श्री पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में क्रान्तिकारी पहल की थी। उन्हें पद्म-भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके परिवार तथा सुलभ इंटरनेशनल के सदस्यों को मैं अपनी शोक-संवेदनाएं व्यक्त करती हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सुलभ इंटरनेशनल भारत का एक सामाजिक सेवा संगठन है। ये संगठन शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, अपशिष्ट प्रबंधन और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
मूल रूप से बिहार के वैशाली जिला स्थित रामपुर बघेल गांव के रहने वाले बिंदेश्वर पाठक ने सुलभ शौचालय की शुरुआत की थी। वैशाली जिले के एक गांव में 2 अप्रैल 1943 को पाठक का जन्म हुआ था। उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से समाज शास्त्र में ग्रेजुएशन की। इसके बाद पटना यूनिवर्सिटी से मास्टर और पीएचडी की। साल 1968-69 में बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ उन्होंने काम किया था। यहीं समिति ने उनसे कहा कि वे सस्ती शौचालय तकनीक विकसित करने पर काम करें। समाज और परिवार के काफी विरोध के बावजूद उन्होंने साल 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की। यह एक सामाजिक संगठन था। सुलभ इंटरनेशनल में उन्होंने दो गड्ढों वाला फ्लश टॉयलेट डेवलप किया। उन्होंने डिस्पोजल कम्पोस्ट शौचालय का आविष्कार किया। इसे कम खर्च में घर के आसपास बनाया जा सकता था। फिर उन्होंने देशभर में सुलभ शौचालय बनाना शुरू कर दिया। पाठक को अपने काम के लिए भारत सरकार से पद्म भूषण सम्मान मिला था।