पड़ोसी देश श्रीलंका अपनी आजादी के बाद सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है। महंगाई इतनी अधिक बढ़ गई है कि लोगों में सरकार के प्रति भारी गुस्सा व्याप्त है। देश की अधिकांश जनता सड़कों पर आकर विरोध प्रदर्शन के साथ नारेबाजी कर रही है। मूलभूत जरूरतों के लिए भी लोगों को घंटों लाइन लगानी पड़ रही है। काफी समय से लंका की जनता को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। राजधानी कोलंबो समेत कई शहरों में हालात बद से बदतर हैं। आर्थिक संकट में जूझ रहे श्रीलंका सरकार ने देश में एक बार फिर से आपातकाल (इमरजेंसी) लगा दिया है। बता दें कि पिछले महीने 1 अप्रैल को भी इस लंका सरकार ने इमरजेंसी लगाई थी लेकिन 5 दिन बाद 6 अप्रैल को इसे हटा दिया गया था। पड़ोसी श्रीलंका में काफी समय से आर्थिक संकट और महंगाई की वजह से लोग सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को स्थित जब बेकाबू हो गई तब राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने फिर से इमरजेंसी लगाने की घोषणा की । इसे आधी रात से लागू कर दिया गया। देश के खराब आर्थिक हालात और लोगों के सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। अब लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे। इसके अलावा किसी भी तरह का राजनीतिक कार्यक्रम बिना परमिशन नहीं हो सकेंगे। श्रीलंका में हालात इतने खराब हैं कि वहां खाने-पीने की चीजों की भी किल्लत हो गई है। आर्थिक तंगी से परेशान लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया। पेट्रोल पंप पर सेना के जरिए सीमित मात्रा में ईंधन की सप्लाई हो रही है। खाद्य महंगाई दर 30 फीसदी तक पहुंच गई। श्रीलंका के गंभीर संकट में फंसने की सबसे बड़ी वजहों में से एक चीन का कर्ज है। महंगाई बढ़ने के बाद से लोगों में गुस्सा है।श्रीलंका को इस संकट से निपटने में भारत मदद कर रहा है। पिछले दिनों एक बार फिर कर्ज में डूबे श्रीलंका के लिए भारत सरकार ने लोन सुविधा और द्विपक्षीय मुद्रा की अदला-बदली व्यवस्था के तहत तीन अरब डॉलर से भी ज्यादा की सहायता की है। इससे पहले भी खाद्यान्न, दवाएं और अन्य जरूरी सामान खरीदने को लेकर एक अरब डॉलर की लोन सुविधा पहले से ही जारी है। भारत ने 16,000 टन चावल की आपूर्ति की।