लोकसभा का सत्र आज बुधवार को जंग के अखाड़े में तब्दील हो गया। गृह मंत्री अमित शाह जब नए सियासी भविष्य बदलने वाले तीन विधेयक पेश करने खड़े हुए, तो विपक्ष आग बबूला हो उठा। बिलों में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री ऐसे अपराध में गिरफ्तार होकर 30 दिन की हिरासत में रहता है, जिसकी सजा 5 साल या उससे ज्यादा है, तो उसे तुरंत अपनी कुर्सी छोड़नी होगी। सत्ता के गलियारों में भूचाल मचाने वाले इस प्रावधान पर कांग्रेस, सपा और AIMIM ने सरकार को आड़े हाथों लिया। विरोध इतना तीखा हुआ कि विपक्षी सांसदों ने शाह पर कागज के गोले तक फेंक दिए। विपक्ष ने इसे “संविधान विरोधी और न्याय विरोधी” करार देते हुए विधेयकों को वापस लेने की मांग की, जबकि शाह ने इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का ऐलान किया। सियासत अब इसी सवाल पर अटकी है-कुर्सी बचेगी या सलाखें बुलाएंगी?
प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी ऐसे क्राइम में अरेस्ट या 30 दिन की हिरासत में रहता है, जिसकी सजा 5 साल या उससे ज्यादा हो तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा। विपक्ष ने तीनों बिलों को वापस लेने की मांग की। विपक्ष ने गृह मंत्री के ऊपर कागज के गोले फेंके। कांग्रेस, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और सपा ने बिलों को न्याय विरोधी, संविधान विरोधी बताया। ये तीनों बिल अलग-अलग इसलिए लाए गए हैं, क्योंकि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और केंद्र शासित राज्यों के लीडर्स के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं।
विपक्ष ने इन विधेयकों को संविधान विरोधी, तानाशाही और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। प्रियंका गांधी ने इसे “पूरी तरह तानाशाही वाले और असंवैधानिक” बताया, ओवैसी व अन्य ने लोकतंत्र की हत्या की चिंता जताई।
शशि थरूर ने अपने दल की लाइन से हटकर इन विधेयकों को “उचित” बताया, हालांकि बाकी कांग्रेस नेताओं ने उनका विरोध किया। लोकसभा में हंगामा, कागज़ के गोले और ड्रामाई दृश्य उभर आए सदन दो बार स्थगित हुआ।
अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक जल्दबाज़ी में नहीं बल्कि संवैधानिक नैतिकता बनाए रखने के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने इसे JPC को भेजने का ऐलान किया ताकि सभी दल इसमें सुझाव दे सकें।
गृहमंत्री अमित शाहके आज पेश किए गए तीनों विधेयकों का क्रमवार विवरण
- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025
उद्देश्य: संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करना।
प्रावधान:
यदि कोई प्रधानमंत्री, केंद्र या राज्य का मंत्री 30 दिन तक हिरासत में रहे ऐसे अपराध के आरोप जिनकी सजा कम से कम 5 साल हो—तो 31वें दिन वे पदमुक्त माने जाएंगे।
प्रधानमंत्री की स्थिति में, यदि इस्तीफा नहीं दिया गया तो राष्ट्रपति की सलाह पर हटाया जाएगा या स्वतः पद त्यागा मान लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री/मंत्रियों के मामले में, यह कार्य राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर या स्वचालित रूप से होगा।
- केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025
उद्देश्य: केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) में भी वह समान नियम लागू करना।
प्रावधान:
यदि कोई उलंघन करता है—30 दिनों तक हिरासत में रहे, तो उप राज्यपाल मुख्यमंत्री/मंत्री की सलाह पर उन्हें हटाएगा।
यदि सलाह नहीं दी गई, तो स्वतः ही पद से हटाया माना जाएगा, लेकिन रिहाई के बाद पुनर्नियुक्ति की संभावना रहेगी।
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
उद्देश्य: जम्मू एवं कश्मीर में भी यह प्रावधान लागू करना।
प्रावधान:
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करते हुए, नए प्रावधान (धारा 5A) जोड़ना।
अगर कोई मुख्यमंत्री/मंत्री 30 दिनों तक हिरासत में रहेतो उप राज्यपाल सलाह पर 31वें दिन तक हटाएगा; यदि सलाह नहीं मिली तो स्वतः पद त्यागा माना जाएगा।