आने वाले 5 दिन चक्रवाती तूफान “बिपरजॉय”को लेकर पूरे देश भर में हलचल शुरू हो गई है। इसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर बाद राजधानी दिल्ली में हाई लेवल की मीटिंग भी करने जा रहे हैं। चक्रवात बिपरजॉय का असर गुजरात में दिखने लगा है। इस तूफान के कारण सबसे अधिक तबाही 15 जून को हो सकती है। IMD के अनुसार बिपरजॉय उत्तर-पूर्वोत्तर की ओर बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों में चार दिनों में बारिश की संभावना है। पिछले दो दिन से रत्नागिरी के समुद्र में बिपरजॉय तूफान के भारी असर देखने को मिले हैं। बिपरजॉय 6 दिनों बाद दिशा बदलकर अब खतरनाक हो गया है।
मौसम विभाग के अनुसार, अब यह पश्चिम-उत्तर दिशा की तरफ बढ़ रहा है। इसका असर राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में दिखना शुरू हो गया है। तूफान को ‘बिपरजॉय’ नाम बांग्लादेश ने दिया है। इसका मतलब ‘विपत्ति’ या ‘आपदा’ होता है। राजस्थान गुजरात और महाराष्ट्र के अलावा भी पंजाब उत्तर प्रदेश दिल्ली एनसीआर हरियाणा में भी इसका असर दिखाई देगा। इसके साथ मौसम भी बदलेगा, तेज हवाए और बारिश साथ आंधी भी चलेगी । मौसम विज्ञान विभाग की ओर से कहा गया है कि, “बिपरजॉय चक्रवात का सेंटर अरब सागर में बन रहा है। यह पोरबंदर के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 450 किमी की दूरी पर है। अनुमान है कि यह उत्तर में बढ़ सकता है और 15 जून की दोपहर तक कच्छ के तट को पार करेगा। जिसकी रफ्तार 125-135 किमी प्रति घंटा का पूर्वानुमान लगाई गई है।
डॉ. मृत्युंजय महापात्र, मौसम विज्ञान महानिदेशक, आईएमडी ने बिपरजॉय चक्रवात से 15 जून को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। ऐसे में सभी लोगों को घर के अंदर और सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।

चक्रवात के आने से पेड़, बिजली के खंबे, सेलफोन टॉवर उखड़ सकते हैं इसकी वजह से बिजली और दूरसंचार में दिक्कत आ सकती है। इसकी वजह से खड़ी फसलों का भी नुकसान होगा। बिपरजॉय तूफान अरब सागर से 6 दिन पहले उठा था। इसका असर 10 दिनों तक रह सकता है। यह हाल के दिनों में अब तक का सबसे लंबे समय तक रहने वाला तूफान है। आईआईटी मद्रास की स्टडी के मुताबिक, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव में अरब सागर के ऊपर चक्रवाती तूफान लगातार और गंभीर होते जा रहे हैं। पिछले चार दशकों में अरब सागर में साइक्लोन के ड्यूरेशन में 80% की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि बहुत गंभीर चक्रवातों की समय-सीमा में 260% का इजाफा देखा गया। समुद्र के ऊपर एक चक्रवाती तूफान जितने अधिक समय तक रहता है, उतनी ही ज्यादा ऊर्जा और नमी जमा होने की संभावना होती है। जिससे तूफान के और अधिक खतरनाक होने और जमीन से टकराने के बाद नुकसान पहुंचाने की संभावना बढ़ जाती है।