पीएम मोदी का आज से पांच दिवसीय विदेश दौरा, पहले जापान फिर चीन जाएंगे - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
December 14, 2025
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पीएम मोदी का आज से पांच दिवसीय विदेश दौरा, पहले जापान फिर चीन जाएंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पांच दिवसीय दौरे पर जापान और चीन रवाना होंगे। प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय जापान यात्रा पर गुरुवार को रवाना होंगे। इस दौरान वे भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे। यह यात्रा दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करेगी, जो सभ्यतागत संबंधों और साझा हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण पर आधारित है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी, जो रक्षा, व्यापार, निवेश और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगी।

भारत और जापान 2000 से वैश्विक साझेदारी और 2014 से विशेष रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं। भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और जापान की ‘स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत’ (एफओआईपी) पहल एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों देश क्वाड, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन जैसे मंचों पर मिलकर काम करते हैं। जापान भारत का सबसे बड़ा आधिकारिक विकास सहायता दाता है और हिंद-प्रशांत महासागर पहल के संपर्क स्तंभ का नेतृत्व करता है।

प्रधानमंत्री मोदी की जापान की यह आठवीं यात्रा होगी और पीएम इशिबा के साथ उनका पहला शिखर सम्मेलन होगा। इस यात्रा के दौरान दोनों प्रधानमंत्री भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी की समीक्षा करेंगे, जिसमें रक्षा और सुरक्षा, व्यापार और अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, इनोवेशन और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल हैं।

भारत-जापान संबंध 2006 से नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलनों के जरिए गति पकड़ते रहे हैं। 2007 में तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारतीय संसद में अपने ऐतिहासिक “दो समुद्रों का संगम” भाषण में साझा मूल्यों पर जोर दिया था। 2013 में जापानी सम्राट अकिहितो और महारानी मिचिको की भारत यात्रा ने सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया। 2014 में आबे गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बने। 2019 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सम्राट नारुहितो के राज्याभिषेक समारोह में भाग लिया।

2022 में जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भारत का दौरा कर 5 ट्रिलियन येन (लगभग 42 बिलियन डॉलर) के निवेश का वादा किया और स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी शुरू की। 2023 में किशिदा ने फिर भारत का दौरा किया, जिसमें मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए 300 अरब येन (2.2 अरब डॉलर) की ओडीए सहायता पर हस्ताक्षर हुए। उसी साल सितंबर में किशिदा जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए। 2024 में मोदी और किशिदा इटली में जी7 शिखर सम्मेलन में मिले और अक्टूबर 2024 में वियनतियाने में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई। 2025 में विलमिंगटन में क्वाड शिखर सम्मेलन और अप्रैल में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद इशिबा की संवेदना कॉल ने दोनों देशों के बीच गहरे विश्वास को दर्शाया।

रक्षा सहयोग भारत-जापान साझेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 2008 में सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा, 2015 में सूचना संरक्षण समझौता, और 2020 में आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान समझौते ने इसे मजबूत किया। 2024 में यूनिकॉर्न नौसैनिक मस्तूल का सह-विकास एक नया कदम है। मालाबार, जिमेक्स, और धर्म गार्जियन जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास नियमित रूप से आयोजित होते हैं। 2024 में शुरू हुई आर्थिक सुरक्षा वार्ता ने सहयोग को और गहरा किया।

2023-24 में भारत-जापान द्विपक्षीय व्यापार 22.8 अरब डॉलर तक पहुंचा। भारत रसायन, वाहन और समुद्री भोजन निर्यात करता है, जबकि जापान से मशीनरी और इस्पात आयात होता है। जापान 43.2 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ भारत में पांचवां सबसे बड़ा निवेशक है। लगभग 1,400 जापानी कंपनियां भारत में सक्रिय हैं और 100 से अधिक भारतीय कंपनियां जापान में काम कर रही हैं। डिजिटल सहयोग, स्वच्छ ऊर्जा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।

जापान 1958 से भारत का सबसे बड़ा ओडीए दाता है, जिसने मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल जैसी परियोजनाओं को समर्थन दिया। 2023 में इस परियोजना के लिए 300 अरब येन की सहायता दी गई। पर्यटन और पर्यावरण पहल भी सहयोग का हिस्सा हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगी, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

पीएम मोदी चीन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे। इस दौरान उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात होगी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम होगा।

भारत और चीन ने 1 अप्रैल 1950 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। लेकिन 1962 के सीमा संघर्ष ने इन संबंधों को झटका दिया। 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन यात्रा ने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की शुरुआत की। इसके बाद 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा ने विशेष प्रतिनिधि प्रणाली का गठन किया और इसके बाद 2005 में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा ने रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी को बढ़ावा दिया।

2014 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा ने घनिष्ठ विकासात्मक साझेदारी की नींव रखी, जबकि 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा ने इस गति को बनाए रखा। दोनों देशों ने 2018 में वुहान और 2019 में चेन्नई में अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों के जरिए आपसी विश्वास बढ़ाया। हालांकि, 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव ने संबंधों को प्रभावित किया। 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और जिनपिंग की मुलाकात से रिश्ते और बेहतर हुए।

इस यात्रा से पहले भी दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय मुलाकातें होती रही हैं। 2016 में जी20 हांग्जो और ब्रिक्स गोवा, 2017 में ब्रिक्स ज़ियामेन, 2018 में एससीओ क़िंगदाओ और 2019 में एससीओ बिश्केक और जी20 ओसाका जैसे आयोजनों में दोनों देशों के नेता मिले। 2022 में जी20 बाली में भी संक्षिप्त बातचीत हुई।

सीमा विवाद के समाधान के लिए 2003 से विशेष प्रतिनिधि प्रणाली के तहत 24 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री से मुलाकात की। परामर्श और समन्वय तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 27 बैठकें और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की 19 बैठकें हो चुकी हैं, जिनका फोकस 2020 से लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर है। जल संसाधन सहयोग के लिए 2006 से विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) काम कर रहा है, जिसकी 14 बैठकें हो चुकी हैं। उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग बढ़ाने का एक और अवसर होगी।

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