आज मातृ नवमी है। पितृ पक्ष का मातृ नवमी श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। इस दिन परिवार से जुड़ी उन दिवंगत महिलाओं जैसे दादी, मां, बहन, बेटी आदि के लिए विशेष रूप से श्राद्ध किया जाता है। विधि-विधान से श्राद्ध करने पर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान विधि विधान से पितरों का श्राद्ध कर्म आदि करने से पितरों का आशीर्वाद सदैव अपने परिजनों पर बना रहता है। मान्यता है कि इस दौरान पितृ धरती पर वास करते हैं तथा अपने परिजनों के सुखमय जीवन की कामना करते हैं। वैसे तो पितृपक्ष में 16 दिनों तक श्राद्ध कर्म चलते हैं। लेकिन इसकी नवमी तिथि का विशेष महत्व है। इसे मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दिवगंत महिलाओं का श्राद्ध कर्म करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में हमारे मृतक पूर्वज धरती पर आते हैं और आशीर्वाद देते हैं। हिंदू धर्म में पितरों के मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने की परंपरा प्राचीन काल चली आ रही है। पितृ पक्ष के 16 दिनों में मातृ नवमी तिथि पर किया जाने वाला श्राद्ध काफी विशेष माना जाता है।
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