केंद्र सरकार के द्वारा बुलाया गया संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है। यह संसद का सत्र 18 सितंबर से 22 तक चलेगा। पांच दिनों तक चलने वाले इस विशेष सत्र के दौरान कई अहम बिल भी सदन में पेश किए जाएंगे। हालांकि इस सत्र को लेकर इंडिया गठबंधन विरोध करता रहा है। वहीं राजद सांसद मनोज झा ने विशेष सत्र को लेकर कहा कि यह बिल्कुल भी विशेष सत्र नहीं है। किसी ज्योतिषी ने कह दिया होगा और प्रधानमंत्री जी इस पर बहुत विश्वास करते हैं…वे सामान्य विधेयक ला रहे हैं जिनके लिए शीतकालीन सत्र तक इंतजार किया जा सकता था… यह मत कहिए कि आपका कोई एजेंडा नहीं है। एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट है। हम देखना चाहेंगे कि अन्य एजेंडे क्या हैं। लेकिन इसमें कुछ खास नहीं है। इस सत्र पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। दरअसल विशेष सत्र को लेकर कई तरह के कयासों और अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि सरकार ने बताया है कि इस सत्र में आठ विधेयक पेश किए जाएंगे। वहीं विपक्ष मांग कर रहा है कि इस सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश कर पारित किया जाए। संसद का पांच दिवसीय स्पेशल सेशन आज से शुरू हो रहा है।
इस सत्र में कुल आठ विधेयक पेश किए जाएंगे जिनमें से सरकार चार विधेयकों को खुलासा कर चुकी है। आज संसद परिसर में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि चांद पर तिरगा लहरा रहा है। शिव शक्ती पॉइंट प्रेरणा का केन्द्र बना है। चन्द्रयान 3 प्रेरणा का नया केन्द्र है। G-20 की अभूतपूर्व सफलता, अनेक संवाभना और सफलता और भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बना है। आखिरी मौके पर केंद्र सरकार के इस विशेष सत्र में सस्पेंस को लेकर इंडिया गठबंधन दल बेचैन है। आखिरकार विपक्ष को समझ में नहीं आ रहा है कि मोदी सरकार इस संसद के विशेष सत्र में कौन सा विधेयक पेश करने जा रही है।
संसद का विशेष सत्र बहुत ही खास मौके पर आयोजित होता रहा है। इस बार संसद के इस सत्र में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी राजनीतिक दलों के सांसद संसद भवन की नई बिल्डिंग में दिखाई देंगे। रविवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नए संसद भवन पर तिरंगा फहराया था। इस सत्र के दौरान इंडिया गठबंधन दल विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर चुका है। आज सत्र का पहला दिन है। पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा में 11 बजे स्पीच देंगे।
संसद के विशेष सत्र के पहले दिन आज लोकसभा और राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव, यादों और सीख पर बात होगी। राज्यसभा में पोस्ट ऑफिस बिल 2023 और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े बिल पेश किए जाएंगे। ये दोनों बिल राज्यसभा में पेश होने के बाद लोकसभा में रखे जाएंगे।
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक, सभी सांसदों को मंगलवार सुबह 9.30 बजे ग्रुप फोटो के लिए बुलाया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि समूह फोटो के लिए पुरानी इमारत के आंतरिक प्रांगण में व्यवस्था की गई है। नए संसद भवन में प्रवेश के लिए सांसदों को नए पहचान पत्र भी जारी किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि कैटरिंग भी 19 सितंबर को नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाएगी। एक तरफ जहां सरकार कुछ अहम बिल पेश करने वाली है। वहीं विपक्ष भी केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर चुका है। I.N.D.I.A में शामिल लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने 5 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मीटिंग की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि I.N.D.I.A अलायंस में शामिल 28 पार्टियों में से 24 पार्टियां संसद के स्पेशल सेशन में शामिल होंगी। 6 सितंबर को सोनिया गांधी ने पीएम को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें सोनिया ने 9 मुद्दे उठाए थे। इस बार भी संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार और इंडिया गठबंधन दल के बीच कार्यवाही के दौरान शोर, शराबा और हंगामा तय है।
बता दें कि 1 साल में तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं। संसद का बजट सत्र किसी वर्ष में फरवरी के महीने से मई महीने के दौरान चलता है। इस अवधि के दौरान बजट पर विचार करने तथा मतदान और अनुमोदन के लिए बजट को संसद में प्रस्तुत किया जाता है। विभागों से संबंधित समितियां मंत्रालयों और विभागों की अनुदानों की मांगों पर विचार करती हैं और इसके बाद संसद को अपने प्रतिवेदन सौंपती हैं। वहीं दूसरा मानसून सत्र होता है जिसकी अवधि जुलाई से अगस्त के बीच होती है। साल का अंत शीतकालीन सत्र से होता है जो नवम्बर से दिसम्बर के बीच बुलाया जाता है। भारतीय संविधान में संसद के विशेष सत्र शब्द का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि, सरकारों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विशेष सत्र को अनुच्छेद 85(1) के प्रावधानों के अनुसार बुलाया जाता है। अनुच्छेद 85(1) के तहत बाकी सत्र भी बुलाए जाते हैं। पीठासीन अधिकारी विशेष सत्र के दौरान कार्यवाही को सीमित कर सकते हैं और प्रश्नकाल जैसी प्रक्रियाओं को छोड़ा जा सकता है।
जरूरत पड़ने पर देश के राष्ट्रपति को संसद का विशेष सत्र बुलाने का अधिकार है। सत्र बुलाने का निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है और सांसदों को राष्ट्रपति के नाम पर बुलाया जाता है। केंद्र सरकार ने इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की और मंजूरी भी ले ली