उत्तराखंड की तर्ज पर अब यूपी में भी योगी सरकार की शुरू होगी "होमस्टे नीति", जानिए क्या है यह योजना - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
June 7, 2025
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उत्तराखंड की तर्ज पर अब यूपी में भी योगी सरकार की शुरू होगी “होमस्टे नीति”, जानिए क्या है यह योजना



उत्तराखंड की होमस्टे नीति देशव्यापी बनती जा रही है। देवभूमि में यह योजना मुख्य रूप से पर्यटक-अतिथियों के ध्यान में रखकर शुरू की गई । अब उत्तर प्रदेश भी होमस्टे को बढ़ावा देने जा रहा है। धामी सरकार की तर्ज पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राज्य में होमस्टे नीति शुरू करने का एलान किया । योगी सरकार ने धार्मिक, पर्यटन आतिथ्य को बढ़ावा देने के लिए नई होमस्टे नीति को मंजूरी दी। इस नई नीति का उद्देश्य राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ठहरने की बेहतर और सुलभ सुविधा प्रदान करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकरण शुल्क कम होगा। यह नीति पर्यटकों को सुविधा और स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करेगी। होमस्टे एक प्रकार का आवास है जो मेहमानों को स्थानीय मेजबान से एक कमरा या पूरा घर किराए पर लेने की अनुमति देता है। यह यात्रियों को एक ऐसा अनुभव प्रदान करता है जहां वे स्थानीय लोगों की तरह रह सकते हैं। राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन के बढ़ते चलन के साथ मिलकर उत्तराखंड को होमस्टे के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।


पहाड़ी या हिमालयी राज्यों में आमतौर पर कोई रोजगार के साधन नहीं होते हैं। ऐसे में सरकार छोटे शहरों और गांवों में प्रयास करती है कि लोगों को वहीं रोजगार, स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराया जाएं । ऐसे ही प्रयास उत्तराखंड (देवभूमि) की सरकारों ने किया है। मौजूदा समय में उत्तराखंड में धामी सरकार की “होमस्टे” नीति फल फूल रही है। सरकार की इस नीति से खास तौर पर पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार भी मिला हुआ है । वैसे भी देवभूमि पूरे देश भर में अपने स्वागत और आतिथ्य के लिए जाना जाता है । उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य में होमस्टे योजना को बढ़ावा दे रही है। कुछ समय पहले सरकार ने नई पहल शुरू की है। धामी सरकार ट्रैकिंग रूट्स पर होमस्टे बनाने वालों को अनुदान दी और टूरिस्ट न होने की स्थिति में भी सरकार होमस्टे संचालकों को रोजाना 60 रुपए प्रति कमरे के हिसाब से पेय करने की घोषणा की थी। इस योजना से हजारों लोग जुड़े हुए हैं । उत्तराखंड में होमस्टे योजना मुख्य रूप से पर्यटक और अतिथियों के ध्यान में रखकर शुरू की गई । उल्लेखनीय है कि होमस्टे एक प्रकार का आवास है जो मेहमानों को स्थानीय मेजबान से एक कमरा या पूरा घर किराए पर लेने की अनुमति देता है। यह यात्रियों को एक ऐसा अनुभव प्रदान करता है जहां वे स्थानीय लोगों की तरह रह सकते हैं, अक्सर व्यक्तिगत आतिथ्य के साथ और स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अनुभव करने का अवसर मिलता है। राज्य की प्राकृतिक सुंदरता, इको-टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन के बढ़ते चलन के साथ मिलकर उत्तराखंड को होमस्टे के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। कुमाऊं की शांत पहाड़ियों से लेकर गढ़वाल के आध्यात्मिक माहौल तक, यहां हर यात्री के लिए कुछ न कुछ है। उत्तराखंड में अपने होमस्टे का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। यह न केवल आपके व्यवसाय को वैध बनाता है, बल्कि सरकारी सब्सिडी और प्रचार सहायता के द्वार भी खोलता है। उत्तराखंड सरकार राज्य में होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देती है। ये सब्सिडी आपके होमस्टे को स्थापित करने और चलाने के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद कर सकती है। अब यह योजना उत्तराखंड से निकलकर देशव्यापी बनती जा रही है। उत्तराखंड का पड़ोसी उत्तर प्रदेश भी अब होमस्टे नीति को बढ़ावा देने जा रहा है। धामी सरकार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राज्य में होमस्टे नीति शुरू करने का एलान किया है। पिछले मंगलवार को यूपी की योगी सरकार ने धार्मिक, पर्यटन आतिथ्य को बढ़ावा देने के लिए नई होमस्टे नीति को मंजूरी दी। इस नई नीति का उद्देश्य राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ठहरने की बेहतर और सुलभ सुविधा प्रदान करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकरण शुल्क कम होगा। यह नीति पर्यटकों को सुविधा और स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करेगी। कोई भी पर्यटक लगातार सात दिन तक इस सुविधा का लाभ उठाते हुए यहां ठहर सकता है। राज्य के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आरामदायक आवास विकल्प उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश बिस्तर और नाश्ता (बी एंड बी) और होमस्टे नीति-2025 को मंजूरी दे दी।होमस्टे नीति के मुताबिक धार्मिक और पर्यटन स्थलों में कोई भी व्यक्ति अपने 1 से 6 कमरों तक की इकाई को होमस्टे के रूप में रजिस्टर करा सकता है। इसके तहत, अधिकतम 12 बेड की अनुमति होगी। कोई भी पर्यटक लगातार 7 दिन तक इस सुविधा का लाभ उठाते हुए यहां ठहर सकता है। इससे अधिक ठहरने की स्थिति में रिन्यूअल की भी व्यवस्था होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे इकाइयों के लिए 500 से 750 रुपये तक का शुल्क लिया जाएगा। वहीं, शहरी या सिल्वर श्रेणी के होमस्टे के लिए 2000 रुपये का आवेदन शुल्क निर्धारित किया गया है।
इस नीति के लागू होने से न केवल पर्यटकों को सस्ते और सुविधाजनक ठहरने का विकल्प मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी सृजित होंगे। यह नीति प्रदेश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी।वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक स्थलों के कारण यह राज्य पहले से ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। हालांकि, अभी तक होमस्टे के लिए कोई राज्य स्तरीय नीति नहीं थी। नतीजतन, होमस्टे संचालकों को केंद्र सरकार के निधि-पोर्टल पर पंजीकरण कराना पड़ता था। नई नीति के साथ, वे अब स्थानीय अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करके आसानी से पंजीकरण करा सकते हैं। सुरेश खन्ना ने आगे बताया कि नीति में वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन भी शामिल हैं, ताकि निवासियों को अपने घरों का कुछ हिस्सा पर्यटन उद्देश्यों के लिए देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। यह न केवल पर्यटकों के लिए किफायती और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराएगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आय और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। कुल मिलाकर, इससे राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन के बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलने की उम्मीद है। पर्यटन विभाग के अनुसार, नई नीति की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर होटल आमतौर पर पूरी तरह से बुक हो जाते हैं, जिससे आगंतुकों के पास ठहरने के लिए सीमित या कोई विकल्प नहीं बचता। नीति का उद्देश्य स्थानीय निवासियों को होमस्टे आवास प्रदान करने में सक्षम बनाकर इस समस्या का समाधान करना है। इस नीति के लागू होने से न केवल पर्यटकों को सस्ते और सुविधाजनक ठहरने का विकल्प मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आय के नए अवसर भी सृजित होंगे। यह नीति प्रदेश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगी। बता दें कि यूपी अपने धार्मिक स्थलों के लिए मशहूर है। अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे तीर्थस्थलों पर हर साल लाखों लोग आते हैं। पर्यटन के लिहाज से ताजमहल और फतेहपुर सीकरी जैसे ऐतिहासिक स्थल भी दुनिया भर में मशहूर हैं। लेकिन, अक्सर होटल फुल होने पर पर्यटक ठहरने के लिए परेशान हो जाते थे। अब इस नीति से यह दिक्कत दूर होगी।




रुद्रप्रयाग के सारी गांव में 25 साल पहले हुई थी होमस्टे की शुरुआत—




रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ, चोपता ट्रैक पर मौजूद सारी गांव उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन और स्वरोजगार की मिसाल कायम कर रहा है। सारी गांव में इस वक्त करीब 50 होम स्टे संचालित हो रहे हैं, जिसमें ढाई सौ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है। सारी गांव में होमस्टे की शुरुआत, 1999 में माउंटेन गाडड मुरली सिंह नेगी ने की, तब उन्होंने अपने पुराने घर की मरम्मत करते हुए, इस क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए आने वाले पयर्टकों को ठहरने और खाने की सुविधा प्रदान की। चूंकि यहां वर्ष भर पयर्टकों की आवाजाही रहती है, इस कारण जल्द ही अन्य लोगों ने भी अपने परम्परागत घरों के दरवाजे पयर्टकों के लिए खोल दिए। ग्रामीण शुरुआत से ही, पयर्टकों को पहाड़ी जीवनशैली के अनुरूप आवास और भोजन उपलब्ध कराते थे, जो पर्यटकों को नया अनुभव देता था। अब वर्तमान में यहां होम स्टे की संख्या 50 तक पहुंच गई है, जिसमें से 41 पर्यटन विभाग के पास पंजीकृत हैं, कई लोगों ने प्रदेश सरकार की दीन दयाल उपाध्याय पयर्टक होम स्टे योजना के तहत भी होम स्टे शुरु किए हैं। इसके अलावा 30 लोगों को ट्रेकिंग ट्रक्शन सेंटर होम-स्टे योजनान्तर्गत के तहत अनुदान मिला है। स्थानीय ग्रामीण जीएस भट्ट बताते हैं कि गत वर्ष गांव में करीब सात हजार पयर्टक ठहरने के लिए आए। स्वरोजगार के चलते गांव में पलायन बहुत कम है, साथ ही अन्य गांवों के विपरीत सारी गांव पूरी तरह जीवंत बना हुआ है।  दिसंबर माह में रुद्रपयाग जिले के दौरे पर पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी सारी गांव पहुंच कर होम स्टे में रात्रि विश्राम किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने गांव में पयर्टन और स्वरोजगार के मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि इसे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने ग्राम वासियों के साथ ही भोजन भी किया। रुद्रप्रयाग से सारी गांव की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है।सारी से तुंगनाथ ट्रैक की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। यह ट्रैक आपको तुंगनाथ मंदिर तक ले जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। सारी गांव से चोपता ट्रैक की दूरी लगभग 25 किलोमीटर है। यह ट्रैक आपको चोपता घाटी तक ले जाता है, जो इन दिनों लाल बुरांश से सजा हुआ है। सारी से ही देवरिया ताल ट्रैक भी शुरू होता है, जिसकी दूरी करीब तीन किमी है। सारी में 191 परिवार वर्तमान में निवासरत हैं। 1200 करीब की आबादी है गांव की । यहां पर 50 से अधिक होम स्टे संचालित हो रहे हैं । 250 करीब लोगों को स्वरोजगार मिला हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि सरकार होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही है। अच्छी बात यह है कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में अब होमस्टे का कारोबार खूब फल फूल रहा है, जो ग्रामीणों की आर्थिक की का भी बड़ा जरिया बन रहा है।



सीएम धामी ने होमस्टे संचालकों से किया सीधा संवाद–




मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में मुख्य सेवक संवाद के तहत ‘‘गांव से ग्लोबल तक होम स्टे’’ संवाद कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्यभर से आए होमस्टे संचालकों से बातचीत कर राज्य में होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए उनके महत्वपूर्ण सुझाव लिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा होम स्टे को तेजी से बढ़ावा दिया गया है। होम स्टे संचालक प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को ठहरने अच्छी सुविधा के साथ राज्य की संस्कृति, परंपरा, खानपान, पहनावे से भी अवगत करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की असली आत्मा गांवों में बसती है। जहाँ प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक विरासत का अद्भुत संगम एक ही स्थान पर देखा जा सकता है। स्थानीय अर्थव्यवस्था और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने होमस्टे योजना की शुरुआत की थी। आज राज्य के दूरदराज गांवों में होमस्टे योजना अपनी एक अलग पहचान बना रही है। राज्य के पांच हजार से अधिक परिवारों ने इस योजना से जुड़कर अपने घरों के द्वार पर्यटकों के लिए खोले हैं। होम स्टे चलाने वाले सभी लोग राज्य के ब्रांड एंबेसडर हैं। सीएम धामी ने कहा कि राज्य में होम स्टे संचालकों द्वारा पारंपरिक व्यंजन को बढ़ावा देने के साथ ही राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। इस पहचान को हमें गांव से ग्लोबल तक पहुँचाना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विभिन्न नीतियों और योजनाओं के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवथा को सशक्त बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना के माध्यम से लोगों की आजीविका वृद्धि की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए राज्य में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड की शुरुआत की गई है। स्टेट मिलेट मिशन से राज्य के मिलेट को देश में अलग पहचान भी मिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थाटन और पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार है। राज्य में धार्मिक, साहसिक, ईको-टूरिज्म, वेलनेस टूरिज्म, एग्रो टूरिज्म और फिल्म पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों को तेजी से बढ़ावा दिया गया है। केदारखंड की भांति मानसखंड कॉरिडोर योजना के अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र के धार्मिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है। ऋषिकेश और हरिद्वार को योग और आध्यात्मिक केंद्रों के रूप में वैश्विक स्तर पर प्रमोट किया जा रहा है। फिल्म शूटिंग के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम लागू किया गया है। उत्तराखंड में शूटिंग करने पर फिल्म निर्माताओं को विशेष सब्सिडी और अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही है। इसी का परिणाम है कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा हमारे चार गांवों जखोल, हर्षिल, गूंजी और सूपी को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह संवाद कार्यक्रम हमारे ग्रामीण पर्यटन की दिशा में एक नई सफलता का कदम जोड़ेगा। यह कार्यक्रम केवल एक संवाद ही नहीं, बल्कि हमारे गांवों की आत्मा को वैश्विक पहचान देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी के विजन एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के विकास के मॉडल का भी एक मजबूत आधार है। उन्होंने कहा कि गांव से ग्लोबल की यह यात्रा तभी सफल होगी जब हम सब मिलकर इसे अपनाएं और इसे स्थाई पर्यटन की क्रांति में बदलें। पर्यटन विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 में 317 होमस्टे संचालकों को वित्तीय और प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया है। वर्ष 2025-26 में सभी जनपदों में यह प्रशिक्षण लागू किया जाएगा। राज्य में एक समन्वित “स्टेट टास्क फोर्स“ का गठन किया गया है, जिसमें पर्यटन, पंचायती राज, ग्राम्य विकास और स्वास्थ्य विभाग शामिल हैं। इस मौके पर पौड़ी जिले से आई होमस्टे संचालक श्रीमती नम्रता कंडवाल ने कहा कि ब्लॉक स्तर पर भी होमस्टे रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। स्कूल और कॉलेजों के छात्र छात्राओं को होमस्टे के टूर पर भी ले जाया जा सकता है। मुक्तेश्वर नैनीताल से होमस्टे संचालक दीपक बिष्ट ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए इसकी प्रक्रिया का सरलीकरण करना होगा। लाभार्थियों को बैंकों से आसानी से लोन मिले, इस पर भी कार्य करने की आवश्यकता है। चमोली के नरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा राज्य में निरंतर होमस्टे को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा विभिन्न होमस्टे को सड़कों से जोड़ना चाहिए। जिससे पर्यटकों को आवाजाही में सुगमता हो और अधिक से अधिक पर्यटक होमस्टे में आ सके। उन्होंने कहा होमस्टे में कचरा प्रबंधन एवं प्लास्टिक के निस्तारण के लिए भी कार्य होना चाहिए। वहीं लैंसडाउन के विक्की रावत ने कहा कि होमस्टे में अधिक से अधिक सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का इस्तेमाल होना चाहिए। हमें राज्य में ही होमस्टे के मॉडल तैयार करने चाहिए। पर्यटन विभाग के माध्यम से अन्य लोगों को भी होमस्टे के नक्शे दिए जा सकते हैं। उन्होंने होमस्टे की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। उत्तरकाशी के अखिल पंत ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर लोगों से मिलकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। होमस्टे के लिए आयोजित होने वाली कार्यशालाओं का आयोजन भी किसी होमस्टे में ही होना चाहिए।

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