राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए चार नए नॉमिनेटेड मेंबर्स की नियुक्ति की है। इनमें पूर्व सरकारी वकील और लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे उज्ज्वल निकम शामिल हैं। निकम, अजमल कसाब समेत कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रहे थे।

उनके अलावा केरल के वरिष्ठ समाजसेवी और शिक्षाविद सी. सदानंदन मास्ते, भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और जानी-मानी इतिहासकार एवं शिक्षाविद मीनाक्षी जैन को भी राज्यसभा में मनोनीत किया गया है। ये नियुक्तियां उन सीटों के लिए की गई हैं, जो पहले के नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई थीं।
इन सभी लोगों को राज्यसभा में मनोनीत किया गया है। राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन है। इन सदस्यों के आने से राज्यसभा में अलग-अलग क्षेत्रों के अनुभवी लोग शामिल होंगे। इससे सदन की कार्यवाही और बेहतर होगी।
मीनाक्षी जैन इतिहास की जानी-मानी प्रोफेसर हैं, जबकि सदानंदन मास्टर शिक्षा और सामाजिक सेवा से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। वे खुद केरल में राजनीतिक हिंसा का शिकार भी रह चुके हैं। इनमें से हर नाम अपने-अपने क्षेत्र में खास पहचान रखता है। इन चारों को संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत मनोनीत किया गया है, जिसके तहत राष्ट्रपति कुछ विशिष्ट लोगों को उनके काम और अनुभव के आधार पर राज्यसभा भेज सकते हैं।
यह नामांकन राज्यसभा की खाली सीटों को भरने के लिए किया गया है। उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा (संसद का उच्च सदन) में कुल 250 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं, और 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं। राष्ट्रपति केवल उन्हीं व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित कर सकते हैं जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा में विशेष योगदान दिया हो।
इन्हें अनुच्छेद 80(1)(a) और 80(3) के तहत मनोनीत किया जाता है। इसका उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को संसद में आवाज देना है जो आम चुनाव के जरिए संसद में नहीं पहुंच पाते।