आज देश ने एक ऐसा क्रिकेटर खो दिया जो स्टेडियम में बैठे दर्शकों की डिमांड पर छक्का मारने के लिए मशहूर थे। एक बार नहीं बल्कि कई बार इन्होंने पब्लिक की डिमांड पर मैदान से गेंद को पवेलियन से बाहर भी पहुंचाया। हम बात कर रहे हैं सलीम दुर्रानी की। सलीम दुर्रानी ने आज सुबह गुजरात के जामनगर में अंतिम सांस ली। 88 साल के सलीम दुर्रानी काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे। सलीम दुर्रानी के निधन की जानकारी मिलते ही खेल जगत में शोक छा गया। क्रिकेट से जुड़े तमाम खिलाड़ी सलीम दुर्रानी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। बता दें कि
दुर्रानी पहले ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया था। 1960 में दुर्रानी को अर्जुन अवार्ड का खिताब दिया गया था। दुर्रानी ने भारत की ओर से कुल 29 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान 1202 रन बनाए जिसमें 1 शतक और 7 अर्धशतक शामिल रहा, इसके अलावा 75 विकेट लेने में सफल रहे थे।
सलीम दुर्रानी (Salim Durani) का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था लेकिन बाद में उनका परिवार कराची में जा बसा था। जब दुर्रानी (Salim Durani) केवल 8 महीने के थे तभी उनका परिवार अफगानिस्तान से कराची आ गया। बाद में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो सलीम दुर्रानी भारत में आ गए। बता दें कि 60-70 के दशक में दुर्रानी ने अपने ऑलराउंड परफॉर्मेंस से अलग पहचान बनाई थी। भारत के क्रिकेट इतिहास में दुर्रानी एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर जाने जाते हैं। बता दें कि सलीम दुर्रानी पहले ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। साल 1960 में दुर्रानी को अर्जुन अवार्ड का खिताब दिया गया था। दुर्रानी ने भारत की ओर से कुल 29 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान 1202 रन बनाए जिसमें 1 शतक और 7 अर्धशतक शामिल रहा, इसके अलावा 75 विकेट लेने में सफल रहे थे। उन्होंने साल 1960 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुंबई टेस्ट में डेब्यू किया था। बता दें कि भले ही दुर्रानी का करियर बड़ा नहीं रहा लेकिन उन्होंने अपने खेल से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। दर्शकों के कहने में छक्का जमाने (Hit Sixes on Demand) के लिए दुर्रानी काफी मशहूर थेे। वे 60-70 दशक में आतिशी बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते थे।
दुर्रानी नहीं तो टेस्ट मैच नहीं (No test No Durani)
दुर्रानी फैन्स के बीच काफी पॉपुलर थे, इसका नजारा साल 1973 में इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर टेस्ट में उनको प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया। जिसके बाद फैन्स ने मैच के दौरान साइन बोर्ड पर ‘नो दुर्रानी नो टेस्ट’ लिखकर इसका विरोध किया। 1964 के वेस्टइंडीज दौरे पर चौथे टेस्ट मैच के दौरान दुर्रानी ने अपनी बल्लेबाजी से ऐसी पारी खेली जिसकी चर्चा आज भी होती है। दरअसल पार्ट ऑफ स्पेन में खेले गए टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी की और पहली पारी में 444 रन बनाए, जिसके बाद भारतीय टीम अपनी पहली पारी में केवल 197 रन ही बना की, ऐसे में भारतीय टीम को फॉलोऑन मिला। यहां से भारतीय टीम के सामने शर्मनाक हार नजर आ रही थी। भारतीय दूसरी पारी में दुर्रानी ने कमाल किया और 104 रन बनाए और साथ ही पॉली उमरीगर (172) की पारी के कारण भारतीय टीम 422 रन बनाने में सफल रही। वेस्टइंडीज को जीत के लिए 176 रनों का लक्ष्य मिला। हालांकि वेस्टंडीज की टीम यह मैच जीतने में सफल रही लेकिन पॉली उमरीगर (Pauli Umrigar) और दुर्रानी की पारी आज भी याद की जाती है।