भारत ने खो दिया देशभक्त कलाकार भारत कुमार, हिंदी सिनेमा के साथ देश को हुई बड़ी क्षति, मनोज कुमार ने दुनिया को कहा अलविदा, पीएम मोदी समेत तमाम नेताओं और अभिनेताओं ने जताया शोक - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
April 30, 2025
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भारत ने खो दिया देशभक्त कलाकार भारत कुमार, हिंदी सिनेमा के साथ देश को हुई बड़ी क्षति, मनोज कुमार ने दुनिया को कहा अलविदा, पीएम मोदी समेत तमाम नेताओं और अभिनेताओं ने जताया शोक

आज शुक्रवार 4 अप्रैल 2025 फिल्म इंडस्ट्रीज ही नहीं बल्कि पूरे देश भर की बड़ी क्षति हुई है । भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार रहे मनोज कुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया। बॉलीवुड में मनोज कुमार जी एक ऐसे कलाकार थे जो अपनी देशभक्ति के लिए जाने जाते थे। अभिनेता मनोज कुमार की अधिकांश फिल्मों में देशभक्ति की झलक भी झलकती थी। इसी वजह से उन्हें भारत कुमार कहा जाता था। फिल्मी दुनिया को सबसे ज्यादा देशभक्ति वाली फिल्में देने वाले दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार अब नहीं रहे। दशकों तक सिनेमा पर राज करने वाले मनोज कुमार ने 87 साल की उम्र में  मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली। कल शनिवार सुबह पवन हंस श्मशान घाट, जुहू में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मनोज कुमार के निधन से फिल्म इंडस्ट्रीज के साथ पूरे देश भर में शोक का माहौल है

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनोज कुमार का निधन शुक्रवार की सुबह हुआ है। उन्हें हार्ट से रिलेटेड कॉम्प्लीकेशंस की वजह से कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल द्वारा जारी किए गए मेडिकल सर्टिफिकेट के मुताबिक, निधन का दूसरा कारण डीकंपेंसेटेड लिवर सिरोसिस है। उनकी यादगार फिल्मों की बात करें, तो उसमें ‘क्रांति’, ‘उपकार’, ‘शहीद’, ‘पूरब और पश्चिम’ के अलावा ‘रोटी कपड़ा और मकान’ समेत कई फिल्में शामिल हैं। मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गोस्वामी और उनका जन्म ऐबटाबाद (अब पाकिस्तान) 1937 में हुआ था। एक्टर की देशभक्ति वाली इतनी फिल्में इतनी हिट रहीं कि उनका नाम ही ‘भारत कुमार’ पड़ गया। अब उनके निधन की खबर सुनने के बाद हर कोई सदमे में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह त ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्टर के साथ अपनी यादगार तस्वीरें भी शेयर कीं। 

पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट में कहा,’महान अभिनेता और फिल्मकार मनोज कुमार के निधन से बहुत दुःख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के प्रतीक थे, जिन्हें खासतौर पर उनकी देशभक्ति के जोश के लिए याद किया जाता था, जो उनकी फिल्मों में भी झलकता था। उनके कामों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया। वो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।’उनके निधन की खबर ने फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है। पूरे देश में दुख का माहौल है। लोग ने उनके निधन पर अपना दुख व्यक्त कर रहे हैं। फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने भी दिग्गज अभिनेता के निधन पर अपना दुख जताया। उन्होंने कहा, ‘आप सभी को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारे प्रेरणास्रोत, भारतीय फिल्म उद्योग के दिग्गज, मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने बहुत लंबे समय तक अस्वस्थ रहने के बाद अंधेरी के कोकिलाबेन अस्पताल में अंतिम सांस ली। यह बहुत बड़ी क्षति है, आप बहुत याद आएंगे।’ एक्टर मनोज कुमार ने बंटवारे के दर्द को अपनी आंखों से देखा था। बचपन से ही उन्हें एक्टिंग का शौक था। उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 1957 में आई फिल्म ‘फैशन’ से की थी। इसके बाद 1960 में उनकी फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ रिलीज हुई। मनोज कुमार ने ‘उपकार’, ‘पत्थर के सनम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘संन्यासी’ और ‘क्रांति’ जैसी कमाल की फिल्में दीं थी।

उनकी पहली रिलीज़ देशभक्ति फिल्म ‘शहीद’ थी, जो स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के जीवन पर आधारित थी । इस फिल्म को क्रिटिक्स और दर्शकों के साथ-साथ भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री से भी जमकर तारीफ मिली और ये बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें लोकप्रिय नारे ‘जय जवान जय किसान’ पर आधारित एक फिल्म बनाने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने देशभक्ति फिल्म ‘उपकार’ (1967) बनाई, जिसे क्रिटिक्स की खूब तारीफें मिली और यह उस वर्ष बॉक्स ऑफिस पर हिट रही और ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बनकर उभरी । 

इस फिल्म का संगीत 1960 के दशक का छठा सबसे अधिक बिकने वाला हिंदी फिल्म एल्बम था। फिल्म ‘उपकार’ का एक गीत , ‘मेरे देश की धरती’ हर साल भारत में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान बजाया जाता है ।उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और कई श्रेणियों में सात फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। कला क्षेत्र में उनके अपार योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने 1992 में पद्म श्री से सम्मानित किया। उनकी विरासत में चार चांद तब लगे, जब 2015 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान है। 

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