उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के तीर्थ यात्रियों के लिए मोदी सरकार ने बुधवार 5 मार्च 2025 को बड़ी खुशखबरी दी है। केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब में “रोप-वे” बनाए जाएंगे। जिसके बाद श्रद्धालुओं को कठिन और लंबी चढ़ाई उसे बड़ी राहत मिलेगी। दिल्ली में आयोजित कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने इस परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर कुल 4081.28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद केदारनाथ धाम सालभर सोनप्रयाग से जुड़ा रहेगा। वहीं तीर्थयात्रियों को 16 किमी लंबे दुर्गम रास्ते से भी छुटकारा मिल जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट के लिए 2730 करोड़ रुपये की धनराशि भी मंजूर की है। यह प्रोजेक्ट 12.4 किलोमीटर लंबा होगा। कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, ‘अभी जो यात्रा 8-9 घंटे में पूरी होती है, वह घटकर 36 मिनट की हो जाएगी। इसमें 36 लोगों के बैठने की क्षमता होगी।
राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक (12.9 किमी) और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक (12.4 किमी) का रोपवे बनेगा। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इसे बनाएगा। भगवान शिव का मंदिर केदारनाथ में है। यह समुद्र तल से 3,584 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां मंदाकिनी नदी है। केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।केदारनाथ में बनने वाला रोपवे सबसे एडवांस्ड ट्राई केबल डिटेचेबल गोंडोला टेक्नीक वाला होगा। इससे हर घंटे 1800 और हर दिन 18 हजार तीर्थ यात्रियों को पहुंचाया जाएगा। केदारनाथ जाने में एक तरफ से कम से कम 9 घंटे का समय लगता है। रोपवे बन जाने के बाद यह यात्रा 36 मिनट में होगी। केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा गौरीकुंड से 16 किमी की कठिन चढ़ाई है। अभी इसे पैदल, पालकी, टट्टू और हेलिकॉप्टर से पूरा किया जाता है।गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी रोपवे बनेगा। इसमें 2,730.13 करोड़ रुपए खर्च होंगे। रोपवे से हर घंटे 1100 और हर दिन 11 हजार यात्रियों को ले जाया जाएगा।
हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 15 हजार फीट है। यहां स्थापित गुरुद्वारा मई से सितंबर के बीच साल में लगभग 5 महीने के लिए खुलता है। हर साल लगभग 2 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं। केंद्र सरकार के इस कदम से चारधाम यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ मिलेगा और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा। इससे पूरे छह महीने तीर्थयात्रियों की आवाजाही बनी रहेगी, जिससे शुरुआती दो महीनों में संसाधनों पर अत्यधिक दबाव कम होगा। इतना ही नहीं यात्रा सीजन में रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी। मालूम हो कि हर साल चार धाम यात्रा के समय केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। केदारनाथ की चढ़ाई बेहद दुर्गम है। ऐसे में यहां तक जाना काफी मुश्किल भरा होता है। केदारनाथ में रोप-वे बनने से यहां तक आना-जाना आसान हो जाएगा।
previous post