जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके आधिकारिक एक्स हैंडल से इस बात की पुष्टि की गई, “पूर्व राज्यपाल श्री सत्यपाल सिंह मलिक जी अब नहीं रहे। सत्यपाल मलिक लगभग एक महीने से दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती थे। वह किड़नी की समस्या से जूझ रहे थे। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से आने वाले मलिक का राजनीतिक जीवन 1960 के दशक में शुरू हुआ था। वह जनता दल और समाजवादी पार्टी जैसे दलों से होते हुए अंततः भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। 2018 से 2021 तक उन्हें गोवा, बिहार, मेघालय और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का राज्यपाल बनाया गया।
हालांकि, मलिक का सबसे चर्चित कार्यकाल जम्मू-कश्मीर में रहा, जब उन्होंने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले प्रदेश की कमान संभाली थी। लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से भी अछूता नहीं रहा। उन्होंने पुलवामा हमले और कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की थी, जिससे उनका भाजपा से टकराव हुआ। इसके बाद वह लगातार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे और कई बार यह भी कहा कि वह “अब भाजपा के नहीं, किसानों के साथ हैं।”
मलिक की पहचान एक ऐसे नेता की रही जो बिना लाग-लपेट के बोलते थे। उनकी मौत से भारतीय राजनीति में एक ऐसा स्वर शांत हो गया जो सत्ता से टकराकर भी अपनी बात कहने से पीछे नहीं हटता था।