उत्तराखंड में साल 2015-16 में हुई दरोगा भर्ती मामले में हुए घोटाले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने चुप्पी तोड़ी है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर दरोगा भर्ती घोटाले को लेकर लंबा चौड़ा लेख भी लिखा है। सोशल मीडिया के जरिए हरीश रावत ने लिखा है कि, दारोगा भर्ती नकल प्रकरण में पहले उन्होंने सोचा था कि वो चुप ही रहें क्योंकि यह भर्तियां उनके कार्यकाल में हुई थीं और वर्षों से नहीं हुई थी, तो इसलिए उन्होंने यह भर्तियां करने के निर्देश दिए थे. इसी तरीके से बहुत सारी डीपीसीज, कैडर रिव्यू और एश्योर करियर प्रमोशन की स्कीम आदि को भी उन्होंने क्रियान्वित किया था, ताकि कर्मचारियों को भी उनका उचित पुरस्कार मिल सके।रावत ने आगे लिखा कि, यदि पता करेंगे तो ऐसे आधे से ज्यादा निर्णय कांग्रेस के 2014 से 2016-17 के कार्यकाल के बीच में ही हुए हैं। मगर दारोगा भर्ती प्रकरण में जिस तरीके से उनके कार्यकाल को निशाना बनाया जा रहा है तो ऐसे में उनका आग्रह है कि इस पूरे प्रकरण की जांच की जाए। इसमें आईजी विजिलेंस, एडीजी विजिलेंस, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजीपी, इन सबसे भी पूछताछ की जानी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पुलिस के घर में पुलिसवालों में इस तरीके की नकल और भ्रष्टाचार, उत्तराखंड पुलिस पर एक बड़ा दाग है और इस दाग से हममें से कोई नहीं बच सकता है। इसलिए उन सबको भी कानून और पूछताछ के दायरे में लाया जाना चाहिए।