सोमवार को राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में जल्द ही “भू-कानून” लागू करने के संकेत दे दिए हैं। देवभूमि में भू माफियाओं से बचाने के लिए लोगों की काफी समय से भू कानून लागू करने की मांग की जा रही थी। इसी को लेकर धामी सरकार ने कुछ महीने पहले एक 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इसमें समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार हैं। सदस्य के तौर पर दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस गर्ब्याल और अरुण कुमार ढौंडियाल, अजेंद्र अजय और राजस्व सचिव आनंद वर्धन शामिल हैं। सोमवार को भू-कानून को लेकर बनाई गई कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सीएम ने रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि भू-कानून से संबंधित सभी पक्षों की राय लेते हुए हम प्रदेश के विकास व प्रदेशवासियों के कल्याण के लिए निर्णय लेंगे। राज्य के लोग हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर भू कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं। समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय-विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं। बता दें कि साल 2000 में जब उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग कर अलग संस्कृति, बोली-भाषा होने के दम पर एक संपूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था। उस समय कई आंदोलनकारियों समेत प्रदेश के बुद्धिजीवियों को डर था कि प्रदेश की जमीन और संस्कृति भू माफियाओं के हाथ में न चली जाए, इसलिए सरकार से एक भू-कानून की मांग की गई।

