VIDEO चारों ओर खौफनाक मंजर : धंस रहा विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जोशीमठ, मकान और दीवारों पर आईं दरारें लोगों में बढ़ी दहशत, "भू-धंसाव से प्रसिद्ध मंदिर हुआ धराशायी", देखें वीडियो - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
April 19, 2025
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VIDEO चारों ओर खौफनाक मंजर : धंस रहा विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल जोशीमठ, मकान और दीवारों पर आईं दरारें लोगों में बढ़ी दहशत, “भू-धंसाव से प्रसिद्ध मंदिर हुआ धराशायी”, देखें वीडियो

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आज हम बात करेंगे उत्तराखंड के खूबसूरत और धार्मिक शहर जोशीमठ की। जब आप बाबा बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने गए होंगे तब जोशीमठ जरूर पड़ा होगा। ‌ जोशीमठ में भी कई प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल हैं। लेकिन आज या पहाड़ों पर बसा शहर दहशत के साए में हैं। यहां रहने वाले लोग भी डरे हुए हैं। ‌लोग रात में भी नींद नहीं ले पा रहे हैं। जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले में आता है। यह लगभग 25,000 की आबादी वाला शहर है। पिछले कई दिनों से जोशीमठ के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।




जोशीमठ पिछले कई दिनों से उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में चर्चा में बना हुआ है। उत्तराखंड की धामी सरकार और केंद्र सरकार एक्टिव मोड पर हैं। अब आइए आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है। ‌बता दें कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 287 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोशीमठ में दीवारें धंस रही है पहाड़ दरक रहे हैं। सैकड़ों मकानों में आई दरारें लोगों को डरा रही हैं। इस वजह से जोशीमठ और आसपास खौफ का माहौल बढ़ रहा है। शुक्रवार शाम को भूस्खलन की जद में आने से जोशीमठ के सिंहधार वार्ड में भगवती मंदिर धराशायी हो गया। पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ के कई इलाकों में लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं। जो अपने घर में रह रहे हैं, उन लोगों को पूरी रात नींद नहीं आ रही। जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं। जोशीमठ में लगातार हो रहे धंसाव को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार 6 जनवरी की शाम को देहरादून सचिवालय स्थित हाई लेवल की मीटिंग की। ‌ बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने संबंधित अधिकारियों से जोशीमठ की स्थितियों की विस्तृत जानकारी ली। जिसमें मुख्य रूप से सचिव आपदा प्रबंधन, आयुक्त गढ़वाल मंडल और जिलाधिकारी से सीएम ने जोशीमठ की जानकारी ली।





मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि तत्काल प्रभाव से सुरक्षित स्थान पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाया जाए। ताकि जोशीमठ शहर के लोगों को वहां पर शिफ्ट कराया जा सके बैठक में सीएम धामी को अधिकारियों की तरफ से जानकारी दी गई है कि जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र में 600 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं। इसके अलावा अभी तक 38 परिवारों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया गया है। क्षेत्र में कई इलाकों में लगातार दरारें बढ़ रही है। ऐसे में जल्द ही बड़ी संख्या में जरूरतमंद परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा। बेघर हुए परिवारों को चार हजार रुपए प्रतिमाह दिया जाएगा, ताकि वो किराए पर सुरक्षित स्थानों में रह सकें। वहीं दूसरी ओर जोशीमठ मामले में केंद्र सरकार ने कमेटी का गठन कर दिया है जिसमें 6 सदस्य शामिल होंगे।






मीटिंग के बाद सीएम धामी ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर भी देते हुए कहा कि आज सचिवालय में जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव से संबंधित बैठक में आयुक्त गढ़वाल मण्डल, सचिव आपदा प्रबंधन एवं जिलाधिकारी चमोली से ग्राउंड रिपोर्ट लेकर अतिशीघ्र सुरक्षित स्थान पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाने व डेंजर जोन को तत्काल खाली करवाने हेतु निर्देशित किया। संबंधित अधिकारियों को भी प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया है। बता दें कि उत्तराखंड के बहुत सारे ऐसे गांव हैं, जो ऊंचाई पर बसे हुए हैं और जहां डिजास्टर का खतरा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज जोशीमठ में मकानों और दीवारों का जायजा लेने पहुंच चुके हैं। यहां पर सीएम धामी ने पीड़ित परिवारों से मिलकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार दोपहर 7 जनवरी को जोशीमठ पहुंचे और पीड़ितों से मिले।

अब आइए जान लेते हैं जोशीमठ के बारे में।






7वीं सदी में जोशीमठ में आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ था–



बता दें कि जोशीमठ एक पवित्र शहर है जो उत्‍तराखंड के चमोली जिले में समुद्र स्‍तर से 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है । यह शहर बर्फ से ढंकी हिमालय पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है। यह स्‍थल हिंदू धर्म के लोगों के लिए प्रतिष्ठित जगह है और यहां कई मंदिर भी स्‍थापित हैं । यहां 7वीं सदी में धर्मसुधारक आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त हुआ और बद्रीनाथ मंदिर तथा देश के विभिन्न कोनों में तीन और मठों की स्थापना से पहले यहीं उन्होंने प्रथम मठ की स्थापना की । जाड़े के समय इस शहर में बद्रीनाथ की गद्दी विराजित होती है , यहां हिंदू धर्म के लिखित वेद अथर्ववेद का पाठ पवित्र माना जाता है । इस शहर को पूर्व काल में कार्तिकेयपुर के नाम से जाना जाता था । जोशीमठ में एक प्राचीन पेड विराजित है – जिसे “कल्‍पवृक्ष” के नाम से जाना जाता हैं , जो देश का सबसे पुराना पेड़ माना जाता है । स्‍थानीय लोगों के अनुसार, लगभग 1200 पुराने इस वृक्ष के नीचे आदि गुरु शंकराचार्य ने घोर तपस्‍या की थी । कल्‍पवृक्ष की परिधि 21.5 मीटर की है । नरसिंह मंदिर, जोशीमठ का अन्‍य लोकप्रिय मंदिर है, जो हिंदूओं के भगवान नरसिंह को समर्पित है। यह माना जाता है कि यह मंदिर संत बद्री नाथ का घर हुआ करता था । इस मंदिर में स्‍थापित भगवान नरसिंह की प्रसिद्ध मूर्ति दिन प्रति दिन सिकुडती जा रही है । मान्‍यताओं के अनुसार, एक दिन यह मूर्ति पूर्णत: समाप्‍त हो जाएगी और उस दिन भयंकर भूस्‍खलन के कारण बद्रीनाथ को जाने वाला रास्‍ता बंद हो जाएगा । जोशीमठ शहर के आस-पास घूमने योग्य स्थानों में औली, उत्तराखंड का मुख्य स्की रिसॉर्ट शामिल है। बद्रीनाथ, औली तथा नीति घाटी के सान्निध्य के कारण जोशीमठ एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन गया है ।

जोशीमठ में स्थित प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर के दर्शन न किए जाएं तब तक बद्रीनाथ यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है —






बता दें कि जोशीमठ धार्मिक स्थान के अलावा यदि आप चमोली जिले के अन्य प्रसिद्ध स्थानों में भी घूम सकते है। जोशीमठ में सबसे प्रसिद्ध मंदिर नरसिंह मंदिर है। इसके बारे में कहा जाता है कि बद्रीनाथ यात्रा तब तक पूरी तरह से नहीं देखी गई, जब तक नरसिंह मंदिर के दर्शन ना किए जाएं। नरसिंह मंदिर, भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को समर्पित है। इसके निर्माण के बारे में कई कहानियाँ हैं। राजतरंगिणी के अनुसार इसका निर्माण कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ ने किया। कुछ लोगों का मानना है कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी और कुछ का मानना है कि इसका निर्माण शंकराचार्य ने किया था। इन किवदंतियों के बावजदू जोशीमठ आएँ तो इन जगहों को जरूर देखें। जोशीमठ में नरसिंह मंदिर उतना ही पुराना और मंदिर है, वासुदेव मंदिर, जो भगवान कृष्ण का मंदिर है। इसकी सातवीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं ने बनवाया था।




मंदिर में भगवान विष्णु के चतुर्भुज अवतार की मूर्ति है। उनके हाथों में शंख, गदा, चक्र और पद्यम है लेकिन ये क्रम के अनुसार नहीं है बल्कि उस समय के राजाओं ने इसे बदल दिया था। कहा जाता है कि राजा को सपना आया था कि ऐसा करने से उनकी स्थिति और प्रजा सुरक्षित रहेगी। ये मंदिर आज की तुलना में पहले बहुत बड़ा था।इन जगहों के अलावा जोशीमठ में ही हिम और स्कीइंग के लिए सबसे प्रसिद्ध औली भी दृश्य है। सर्दियों में बर्फ देखने के लिए टूरिस्ट औली चिचे आते हैं। समुद्र तल से तीन हजार मीटर के प्रोफाइल औली में स्थित है। जोशीमठ से औली 16 किलोमीटर दूर है। जोशीमठ से औली जाने के तीन रास्ते हैं रोपवे, सड़क मार्ग और पैदल रास्ता।




आप एक दिन में औली घूमकर जोशीमठ वापस आ सकते हैं। आदि-शंकराचार्य के बसाए चार मठों में से एक। जोशीमठ पहुंचने के लिए आप हिमालय की तलहटी पर बसे ऋषिकेश से अगर शुरुआत करें तो, गंगा नदी के साथ-साथ सर्पीली सड़क से होते देवप्रयाग तक पहुंचें। यहां संगम पर, भागीरथी का आप छोड़ें और अलखनंदा आपको रुद्रप्रयाग तक ले गए। वहां मंदिर नदी से मुलाकात कर आप फिर अलखनंदा के साथ कर्णप्रयाग से होते हैं नंदप्रयाग, और फिर कुल मिलाकर सौ किलोमीटर की दूरी कर, जोशीमठ पहुंचेंगे। अब तक आप 6150 फुट की लंबाई पर पहुंच चुके हैं। वनस्पतियों की बर्फीली पहाड़ियों को आप करीब से देख सकते हैं और आप बेशुमार खूबसूरती से भरपूर जोशीमठ में हैं। जोशीमठ से कई मार्गों का रास्ता भी होकर गुजरता है। आज हमने आपको जोशीमठ के वर्तमान में दहशत भरे हालात और इस शहर की स्थापना को लेकर जानकारी दी, आशा करते हैं आपको पसंद आई होगी।

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