मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देहरादून कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पर उत्तराखंड राज्य के शहीद आंदोलनकारियों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने पुलिस लाइन में आयोजित राज्य आंदोलनकारी सम्मान समारोह में आंदोलनकारियों और शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों को सम्मानित किया। इस अवसर पर कचहरी परिसर और पुलिस लाइन देहरादून में हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण केवल राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि देवभूमि के लाखों लोगों के बलिदान, संघर्ष और तप का परिणाम है। उन्होंने कहा कि खटीमा, मसूरी और रामपुर तिराहा जैसी घटनाएं राज्य के इतिहास के अमर अध्याय हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार आंदोलनकारियों के सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देती रही है और आगे भी देती रहेगी।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं —
शहीद राज्य आंदोलनकारियों के नाम पर उनके क्षेत्रों की प्रमुख अवस्थापना सुविधाओं का नामकरण किया जाएगा।
जेल गए या घायल आंदोलनकारियों की पेंशन 6,000 से बढ़ाकर 7,000 रुपए प्रति माह की जाएगी।
अन्य श्रेणी के राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन 4,500 से बढ़ाकर 5,500 रुपए प्रति माह की जाएगी।
पूर्णतः विकलांग आंदोलनकारियों की पेंशन 20,000 से बढ़ाकर 30,000 रुपए प्रति माह की जाएगी, साथ ही उनके लिए मेडिकल अटेंडेंट की व्यवस्था भी की जाएगी।
शहीद आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन 3,000 से बढ़ाकर 5,500 रुपए प्रति माह की जाएगी।
राज्य आंदोलनकारियों के लंबित आवेदनों के निस्तारण के लिए छह माह का समय विस्तार दिया गया।
सभी शहीद स्मारकों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अपील की कि राज्य स्थापना दिवस पर हर प्रदेशवासी अपने घरों में पाँच दीपक राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति में अवश्य जलाएँ। उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन की भावना ही उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की प्रेरणा है और इस प्रयास में सभी को सहभागी बनना होगा।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, सांसद नरेश बंसल, विधायक विनोद चमोली, खजानदास, उमेश शर्मा काऊ, सविता कपूर, राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष बड़थ्वाल, जिलाधिकारी सविन बंसल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह और बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी मौजूद रहे।

