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October 18, 2024
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Chaitra Navratri 2023 Day 9 Lord Maa Siddhadatri : चैत्र नवरात्रि का आज नौवां दिन, जानें मां सिद्धदात्री की पूजा विधि, भोग, मंत्र और लाभ

आज चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन है. आज मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी. माता सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नौवां स्वरूप है. इनकी पूजा-उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. और अगर नवमी के दिन केवल माता सिद्धिदात्री का पूजन किया जाए तो व्यक्ति को संपूर्ण देवियों की पूजा का फल मिलता है. इस दिन कमल के फूल पर बैठी हुई देवी का ध्यान करें. माता सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियां मौजूद है. आइए जानते हैं माता सिद्धिदात्री की पूजन विधि और उपाय।

माता सिद्धिदात्री के मंत्र (Maa Siddhidatri Puja Mantra)


सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

मां सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Arati)


जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता,

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि!!

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम

जब भी हाथ सेवक के सर धरती हो तुम,

तेरी पूजा में तो न कोई विधि है

तू जगदम्बे दाती तू सर्वसिद्धि है!!

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,

तुम सब काज उसके कराती हो पूरे

कभी काम उसके रहे न अधूरे!!

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया

रखे जिसके सर पर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली!!

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

वंदना है सवाली तू जिसकी दाता!!



माता सिद्धिदात्री का महत्व

माता सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और मां की चार भुजाएं हैं जिसमें उन्होंने शंख, गदा, कमल, और चक्र लिया हुआ है. पुराणों के अनुसार बताया जाता है कि भगवान शिव ने कठिन तपस्या करके मां सिद्धिदात्री से ही आठ सिद्धियां प्राप्त की थी. इसके अलावा मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हो गया था और तब को अपने इस स्वरूप में अर्धनारीश्वर कहलाए थे. मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है. उन्हें रोग, शोक, और भय से मुक्ति मिलती है.




माता सिद्धिदात्री की पूजन विधि

नवमी तिथि के दिन मां के लिए प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ तरह के फूल, फल, भोग आदि पूजा में अवश्य शामिल करें. पूजा शुरू करने से पहले सबसे पहले देवी का ध्यान करें और उनसे संबंधित मंत्रों का जप करें. मां को फल, भोग, मिष्ठान, पांचों मेवा, नारियल आदि अर्पित करें. इसके बाद माता को रोली लगाएं. मां का ध्यान करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. अंत में मां की आरती करें. कन्या भोजन कराएं. मां से अपनी मनोकामना करें और पूजा में शामिल सभी लोगों में प्रसाद अवश्य वितरित करें. पूजा करते समय इस खास मंत्र का उच्चारण जरूर करें “ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः”

मां सिद्धदात्री की 8 सिद्धियां (Importance of Maa Siddhidatri Puja)


मां सिद्धदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं। ये सभी सिद्धियां मां सिद्धदात्री की पूजा और कृपा से प्राप्त की जाती हैं। हनुमान चालीसा में इन्हीं आठ सिद्धिय़ों का उल्लेख मिलता है ‘अष्टसिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन्ह जानकी माता’। भगवान महादेव ने इन्हीं देवी की तपस्या कर आठों सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां सिद्धदात्री की कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए। नवरात्रि के नौंवे दिन इनकी पूजा करने के बाद नवरात्र का समापन माना जाता है। इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि कन्या पूजन (Navratri Navami Tithi Kanya Pujan)


नवरात्रि की नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विधान है। कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए अन्यथा दो कन्याओं के साथ भी पूजा कर सकते हैं। कन्याओं के साथ एक लांगूरा (बटुक भैरव) भी होना चाहिए। कन्याओं को घर पर बुलाकर उनके पैरों को जल या दूध से धुलकर कुमकुम व सिंदूर का टिका लगाएं और फिर भोजन के लिए कन्याओं को हलवा-चना, पूड़ी-सब्जी, फल आदि चीजें दें। इसके बाद लाल चुनरी ओढाएं और सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दें। इसके बाद पूरे परिवार के साथ सभी कन्याओं के चरण स्पर्श करें और माता के जयाकरे लगाते हुए कन्या और लागूंरा को विदा करें।

चैत्र नवरात्रि पूजन शुभ मुहूर्त (Maa Siddhidatri Pujan Muhurt)


चैत्र नवरात्र के 9वें दिन पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5:25 से 6:54 तक रहेगा। इसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 8:37 से दोपहर 12:30 बजे तक और तीसरा शुभ मुहूर्त शाम को 3:06 से 5:22 तक रहेगा। वहीं रामनवमी की तिथि बुधवार रात 9:07 से शुरू होकर 30 मार्च को रात 11:30 तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से रामनवमी का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा।

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