राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी दिल्ली में भाजपा हाई कमान ने चुनाव समिति और मेनिफेस्टो कमेटी का गठन किया है। पार्टी ने इसमें कई नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है। भाजपा आलाकमान ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के बड़े चहरोंं में शामिल वसुंधरा राजे सिंधिया को पार्टी ने बड़ा झटका दिया है। भाजपा चुनाव समिति और मेनिफेस्टो कमेटी में वसुंधरा राजे का नाम शामिल नहीं किया गया है। राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर संकल्प पत्र घोषणा और चुनाव प्रबंधन समिति की घोषणा की है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर यह घोषणा हुई। इन दोनों समितियों में कुल 46 नेताओं को जगह दी गई।केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। मेघवाल को घोषणा पत्र समिति का संयोजक बनाया गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा की ओर से जारी ‘प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति’ का संयोजक नारायण पंचारिया को बनाया गया है। पंचारिया प्रेदश उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद हैं। वसुंधरा राजे के नाम के साथ ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां के नाम भी मिसिंग हैं। बता दें कि पिछले कुछ महीनों से राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के कई शीर्ष नेताओं के नाम सीएम उम्मीदवार के रूप में चर्चा में हैं। इनमें वसुंधरा , राठौड़ और पूनियां का नाम भी लिखा जा रहा था। हालांकि वसुंधरा को इन दोनों समितियों में कोई जिम्मेदारी नहीं दिए जाने पर सियासी गलियारों में कई कयास लगाए जा रहे हैं।


प्रदेश में विधानसभा चुनावों को देखते हुए चुनाव प्रबंधन समिति में 21 नेताओं को जगह दी गई है। इसमें 1 संयोजक, 6 सह संयोजक औऱ 14 सदस्य बनाए गए हैं। इसमें नारायण पंचारिया को संयोजक, पूर्व प्रदेश महामंत्री ओंकार सिंह लखावत, सांसद राज्यवर्द्धन राठौड़, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त सीएम मीणा और कन्हैयालाल बैरवाल को सह संयोजक बनाया गया है। चुनाव के मद्देनजर तीन समितियां अहम होती हैं। इनमें से दो समितियों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जगह नहीं दी गई है।