सुप्रीम कोर्ट के आदेश और लंबी लड़ाई के बाद 11 महिला अफसरों को सेना में मिलेगा स्थायी कमीशन - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
July 22, 2025
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राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और लंबी लड़ाई के बाद 11 महिला अफसरों को सेना में मिलेगा स्थायी कमीशन


सेना में महिला अफसरों की लंबे इंतजार और कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार आज जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद केंद्र 11 महिला अफसरों को स्थायी कमीशन अधिकारियों के रूप में तरक्की मिलेगी। इन महिला सैन्य अधिकारियों को दस दिनों के भीतर परमानेंट कमीशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी के बाद सेना ने अपनी आपत्ति को वापस ले लिया। पिछले साल 17 फरवरी को इस मसले पर कोर्ट के ऐतिहासिक आदेश के बाद अधिकतर महिला अधिकारियों को सेना ने स्थायी कमीशन दे दिया था। लेकिन 11 अधिकारियों की फाइल अलग-अलग वजह से रोकी हुई थी। गौरतलब है कि 12 मार्च 2010 को हाईकोर्ट ने शार्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। रक्षा मंत्रालय इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार तो कर लिया, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट का रवैया महिला अधिकारियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रहा। हाईकोर्ट के फैसले के 9 साल बाद सरकार ने फरवरी 2019 में 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की नीति बनाई। लेकिन यह कह दिया कि इसका लाभ मार्च 2019 के बाद से सेवा में आने वाली महिला अधिकारियों को ही मिलेगा। इस तरह वह महिलाएं स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गईं जिन्होंने इस मसले पर लंबे अरसे तक कानूनी लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ के आदेश के मुताबिक, जो योग्य अफसर हैं और कोर्ट नहीं आईं, उन्हें भी तीन हफ्ते में स्थाई कमीशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जिन अफसरों के पास विजिलेंस व अनुशासनात्मक क्लीयरेंस हैं, वो स्थायी कमीशन के लिए हकदार होंगी। बता दें कि इससे पहले, सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस चलाने की धमकी के बाद केंद्र सरकार के रुख में नरमी आई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी थी कि हम सेना को अवमानना का दोषी ठहराएंगे। सेना अपने क्षेत्र में सुप्रीम हो सकती है लेकिन संवैधानिक कोर्ट अपने क्षेत्राधिकार में सुप्रीम है।

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