साल 1975 में बॉलीवुड निर्देशक जीपी ने फिल्म शोले बनाई थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, संजीव कुमार और हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में थे। एक किरदार ऐसा भी था जिसे 48 वर्षों बाद भी देशवासी अभी तक भूल नहीं पाए हैं। इस फिल्म में इस किरदार का नाम गब्बर सिंह था। शोले फिल्म में अमजद खान ने गब्बर की भूमिका निभाई थी। आज भले ही अमजद खान इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके फिल्म में बोले गए कई संवाद (डायलॉग) अमर हैं। जिसमें अमजद खान यानी गब्बर पहाड़ के ऊपर बैठे “सांभा” से पूछता है होली कब है। बता दें कि सांभा की भूमिका चरित्र अभिनेता मैक मोहन ने निभाई थी। आज मैक मोहन भी इस दुनिया में नहीं है। आइए आप बात को आगे बढ़ाते हैं। आज देशवासी एक दूसरे से फोन करके, सोशल मीडिया और व्हाट्सएप पर यही पूछ रहे हैं होलिका दहन और होली कब खेली जाएगी। अगर हम पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो कई हिंदू पर्व की तारीखों को लेकर कन्फ्यूजन के साथ थोड़ा असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे लोगों की तैयारियां सही समय पर नहीं हो पाती हैं। हालांकि पूरे देश भर में होली की रौनक शुरू हो गई है। बाजारों में दुकानदारों ने रंग, गुलाल, पिचकारी और मिठाइयों की दुकान सजा ली है। घर और बाजारों में होली के गीत भी सुनाई दे रहे हैं। नेता से लेकर अभिनेताओं के साथ क्या आम क्या खास सभी होली के रंग में रंग गए हैं ।
अब आइए जानते हैं होलिका दहन और होली कब खेली जाएगी। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। दहन के अगले दिन होली खेली जाती है। लेकिन इस साल होलिका दहन की तिथि को लेकर थोड़ा असमंज है। क्योंकि इस साल दो दिन पूर्णिमा तिथि पड़ रही है। इस साल इस साल देशभर में कहीं 6 मार्च की रात को तो कहीं पर 7 मार्च को होलिका दहन किया जा रहा है। देश में अधिकांश जगह 8 मार्च को ही होली खेली जाएगी। लेकिन कहीं-कहीं 7 तारीख को भी होली खेली जा रही है। होलिका दहन 6 और 7 मार्च के बीच रात 12 बजकर 40 मिनट से 2 बजे तक करना शुभ होगा। क्योंकि 7 मार्च को पूर्णिमा तिथि शाम 6 बजकर 10 मिनट तक ही है। लेकिन कई जगहों पर 7 मार्च को भी होलिका दहन किया जा रहा है। बता दें कि फाल्गुन की पूर्णिमा तथि आज यानी 6 मार्च शाम 4.18 शुरू होकर समापन 7 मार्च शाम 06.10 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार कई जगह होलिका दहन 6 मार्च को किया जाएगा, हालांकि आज भद्रा काल भी रहेगा। ऐसे में जानकारों का मत है कि 6-7 मार्च की दरमियानी रात को होलिका दहन किया जा सकता है। हालांकि 7 मार्च को होलिक दहन उत्तम माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन भद्रा का साया नहीं होगा। होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद किया जाता है। 6 मार्च को भद्रा काल शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगा और 7 मार्च 2023 को सुबह 5 बजकर 14 खत्म होगा। शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा के साथ भद्रा हो तो पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन कर सकते हैं। भद्रा पुंछ में होलिका दहन का शास्त्रीय विधान है। पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा का पुच्छ काल 6 और 7 मार्च की दरमियानी रात 12.40 से 2 बजे तक रहेगा। इस दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। वहीं भद्रा में होली की पूजा नहीं की जाती है ऐसे में पूजन के लिए 6 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 24 से 6 बजकर 48 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है। इस बार होली पर गुरु अपनी राशि मीन और शनि स्वराशि कुंभ में विराजमान है। वहीं शुक्र उच्च राशि मीन में स्थिति में है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, में 6 और 7 की रात को होली जलाई जाएगी। पंजाब, हरियाणा, रांची और उत्तर प्रदेश में 6 और 7 यानी दोनों दिन वहीं, गुजरात, दिल्ली, पटना और हिमाचल में 7 की शाम को होलिका दहन होगा।
इस बार होलिका दहन पर इन पंचयोग का बन रहा है शुभ संयोग–
6 मार्च को होलिका दहन पर केदार, हंस, मालव्य, चतुष्चक्र और महाभाग्य नाम के पांच बड़े योग बन रहे हैं। सितारों के ऐसे दुर्लभ योग में होलिका दहन उत्तम फलदायी साबित होगा। मान्यता है कि इस योग में होलिका दहन से बीमारियों का नाश होता है, ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च को शाम में शुरू हो जाएगी। इसे प्रदोष व्यापिनी व्रत की पूर्णिमा माना जाता है। 06 मार्च से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि 07 मार्च तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, मंगलवार 07 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत और पूजन किया जाएगा और इसी दिन होलिका दहन भी होगी। वहीं भद्रा मुहूर्त को देखें तो, सोमवार 06 मार्च शाम 04:48 से मंगलवार 07 मार्च सुबह 05:14 तक भद्रा काल रहेगा। ऐसे में भद्रा काल समाप्त होने के बाद 07 मार्च को होलिका दहन की जाएगी। वहीं होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 07 मार्च शाम 06:24 से रात 08:51 तक रहेगा।
होलिका दहन की कुल अवधि 02 घंटे 27 मिनट होगी। बत दें कि होलाष्टक फाल्गुन पूर्णिमा पर खत्म होते हैं। होलाष्टक के 8 दिनों में आठ ग्रह उग्र रहते हैं। जिसमें 7 मार्च 2023 को फाल्गुन पूर्णिमा पर पाप ग्रह राहु उग्र रहेगा। राहु के दूषित होने पर व्यक्ति के सेहत, वाणी पर बुरा असर पड़ता है। बनते काम बिगड़ जाते हैं। संबंधों में खटास आ जाती है। ऐसे में राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए होलिका दहन पर शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक लगाकर महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें, गाय को हरा चारा खिलाएं। गणपति को दूर्वा चढ़ाएं। इससे राहु के दुष्प्रभाव में कमी आएगी। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है। क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है। इसके साथ ही इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इतना ही नहीं इसके साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं। घर में सुख शांति और समृद्धि के लिए होलिका दहन के दिन महिलाएं होली की पूजा करती हैं।
होलिका दहन की पूजा काफी लंबे समय से शुरू की जाती है। होलिका दहन के लिए बहुत दिनों पहले से ही लोग लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। इन लकड़ियों को इकट्ठा करके एक गट्ठर के रूप में रखा जाता है और फिर होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में इसे जलाया जाता है। होलिका दहन का यह दिन बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के अलावा किसी अन्य को नहीं मानता तो वह क्रुद्ध हो उठा। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गयी। भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं। रंगावाली होली पर लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं। घरों में अलग अलग तरह के पकवान बनते हैं । रंगवाली होली को दुलहंडी, बड़ी होली भी कहा जाता है। इसे पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल रंगों का त्योहार होली 8 मार्च को मनाया जाएगा।