उत्तराखंड के तीर्थ नगरी ऋषिकेश में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव शुरू हो गया है। पिछले दिनों 1 मार्च से लेकर 7 तारीख तक ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन हुआ था। अब एक बार फिर ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित 35वां अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का फूल और हर्बल रंगों की होली के साथ श्रीगणेश हो गया है। योग महोत्सव में 90 देश से 1100 से अधिक योग जिज्ञासु, 25 देशों के 75 योगाचार्य जुटे हैं।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने दुनिया भर से पहुंचे योग प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि योग हमारी आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग है। विश्वगुरु भारत के संकल्प को पूरा करने में योग विद्या का महत्वपूर्ण योगदान होने वाला है। योग शरीर, मन और आत्मा का योग बनाता है। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने योग के माध्यम से ‘लाइफस्टाइल फार एनवायरनमेंट’ का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि योग का तात्पर्य ही है प्रकृति, पर्यावरण और मानवता के साथ संयोग। आज पूरे विश्व को पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हम सभी का परम सौभाग्य है कि हमें योग की जन्मभूमि ऋषिकेश में आकर योग को आत्मसात करने का अवसर प्राप्त हुआ। कोविड के बाद पूरी दुनिया ने योग के महत्व को स्वीकार किया। आप सब जब यहां से जाएं तो योग के प्रति और जागरूक होकर जाएं। योगनगरी ऋषिकेश में इन दिनों दुनियाभर से लोग अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में हिस्सा लेकर विभिन्न आसनों के अलावा जीवन के नए आयाम भी सीख रहे हैं। अमेरिका, इटली, ब्राजील समेत 88 देशों के करीब एक हजार से अधिक साधक कुछ नया सीखने के लिए योगनगरी पहुंचे हैं।