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(Morbi cabel bridge collapsed) गुजरात के साथ पूरा देश दुखी है। लापरवाही के कारण एक हादसा कई लोगों की जिंदगी खत्म कर गया। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना स्तब्ध रह गया। सैकड़ों लोग रविवार छुट्टी होने की वजह से “पिकनिक” मनाने आए थे। लेकिन एक झटके में ही कई जिंदगी पानी में समा गई। लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। हादसे ने कई परिवारों की जिंदगी वीरान भी कर दी है। रविवार शाम को गुजरात के मोरबी में हुए दुखद हादसे के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर है। अभी तक इस हादसे में 141 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसमें करीब 30 से अधिक महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। बता दें कि रविवार शाम करीब 6:30 बजे गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर 100 साल से अधिक पुराना ब्रिज टूट गया था। यह हादसा जिस समय हुआ उस समय ब्रिज पर करीब चार सौ से ज्यादा लोग मौजूद थे। इस हादसे ने साल 1912 में हुए “टाइटैनिक जहाज” की याद दिला दी है। टाइटेनिक जहाज इंग्लैंड के साउथेंप्टन से अमेरिका के लिए रवाना हुआ था। 14-15 अप्रैल 1912 को यह जहाज अपने पहले सफर में ही बर्फ के हिमखंड से टकराकर अटलांटिक महासागर में समा गया था। इस हादसे में करीब 2000 लोगों की मौत हुई थी। ऐसा ही रविवार शाम को गुजरात के मोरबी में देखने को मिला।
मोरबी शहर में मच्छु नदी पर रविवार शाम एक सदी पुराना पुल गिरने से 141 लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। अभी तक करीब 180 लोगों को बचाया जा चुका है। हादसे के वक्त पुल पर 400 से ज्यादा लोग मौजूद थे। केबल ब्रिज 100 साल से ज्यादा पुराना बताया जा रहा है। यह ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। राजा-महाराजाओं के समय का यह पुल ऋषिकेश के राम-झूला और लक्ष्मण झूला पुल की तरह झूलता हुआ-सा नजर आता था, इसलिए इसे झूलता पुल भी कहते थे। इसे गुजराती नव वर्ष पर महज 5 दिन पहले ही रिनोवेशन के बाद चालू किया गया था। गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि रविवार शाम 6.30 बजे झूलता हुआ पुल टूट गया, रविवार को यहां लोग परिवार के साथ घूमने आए थे, तभी ये हादसा हो गया, इसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम, एंबुलेंस, प्रशासन, डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंच गई, स्थानीय लोगों ने भी रेस्क्यू में मदद की। इसके बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। इस हादसे के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात में ही थे। जिसकी वजह से रेस्क्यू का काम बहुत तेज गति से किया गया।

लेकिन फिर भी 141 लोगों की जिंदगी बचाई नहीं जा सकी। आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमों ने रातभर रेस्क्यू काम किया। रेस्क्यू अभियान की मॉनीटरिंग पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम भूपेंद्र पटेल ने की। गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूरी रात रेस्क्यू अभियान की जानकारी ली और मदद पहुंचाने का काम किया। चश्मदीद ने दावा किया कि झूल रहे पुल को कुछ युवकों ने तोड़ने की कोशिश की। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें कुछ युवक पुल पर जोर-जोर से पैर मारते नजर आ रहे हैं। अहमदाबाद के विजय गोस्वामी ने बताया, वह परिवार के साथ पुल पर घूमने के लिए गए थे, लेकिन वहां भीड़ में कुछ युवकों ने पुल को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया था। इससे लोगों का चलना मुश्किल हो गया। उन्हें लगा कि यह खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए वह परिवार के साथ वापस लौट आए। कुछ घंटे बाद विजय का डर सही साबित हुआ, जब मच्छु नदी पर हादसे की सूचना मिली। बता दें कि मोरबी के राजा वाघजी रावाजी ठाकोर ने झूलता पुल बनवाया था। इसका 20 फरवरी 1879 को उद्घाटन किया गया। ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा बनाए इस पुल के निर्माण में आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।



लंबे समय तक इसे अच्छी इंजीनियरिंग का प्रतीक माना जाता रहा। 765 फुट लंबा, चार फुट चौड़ा यह पुल बेजोड़ इंजीनियरिंग और ऐतिहासिकता के कारण गुजरात टूरिज्म की सूची में शामिल किया गया था। इस हादसे के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने गहरा शोक जताया है।