यूपी प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा क्षेत्र से चर्चित विधायक और जनसत्ता दल पार्टी के अध्यक्ष राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह अपनी पत्नी भानवी से अलग होंगे। दोनों के बीच में पिछले कुछ समय से मनमुटाव चला रहा है। इस मनमुटाव की शुरुआत राजा भैया के करीबी और दूर के रिश्तेदार अक्षय प्रताप और गोपाल जी पर भानवी ने गंभीर आरोप लगाए थे। करीब 1 महीने 10 दिन पहले यानी 20 फरवरी को भानवी ने फर्जीवाड़े को लेकर अक्षय प्रताप पर मुकदमा दर्ज कराया था। तभी से राजा भैया और पत्नी भानवी के रिश्तों के बीच तल्खी बढ़ गई थी। अब दोनों ने अलग होने का फैसला कर लिया है। राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह अपनी पत्नी भानवी प्रताप सिंह से तलाक लेने वाले हैं। तलाक लेने के लिए उन्होंने दिल्ली के साकेत कोर्ट में अर्जी लगाई है। राजा भैया ने 19 नवंबर 2022 को दिल्ली की साकेत कोर्ट में पारिवारिक वाद दायर किया था।
राजा भैया और भानवी सिंह के दो बेटे और दो बेटियां हैं। 27 साल पहले दोनों ने शादी की थी। बता दें कि भानवी सिंह उत्तर प्रदेश के बस्ती राज्य घराने की रहने वाली हैं। बता दें कि राजा भैया की पत्नी ने एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी के खिलाफ ईओडब्ल्यू में वित्तीय अनियमितता को लेकर केस दर्ज कराया था। बताया जाता है कि कुंडा विधायक राजा भैया की पत्नी और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह एक कंपनी साथ में मिलाकर चला रहे थे। भानवी का आरोप है कि अक्षय प्रताप ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर उनकी कंपनी के ज्यादातर शेयर हथिया लिए थे। जिसमें कर्मचारियों पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगा था।
अब आइए जानते हैं राजा भैया के बारे में। साल 1993 में राजा भैया प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा से पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे। तभी से लगातार कुंडा सीट से राजा भैया विधायक हैं। यूपी में सपा और भाजपा की सरकार में राजा भैया कैबिनेट मंत्री भी थे। साल 2018 में राजा भैया ने अपनी पार्टी जनसत्ता दल बनाई। साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में राजा भैया अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीतकर विधायक बने। पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव में राजा भैया जनसत्ता दल के दो विधायक चुनाव जीते थे। जिसमें एक राजा भैया और दूसरे कुंडा से कुछ दूरी पर स्थित बिहार विधानसभा से हैं। रघुराज प्रताप सिंह को राजा भैया के नाम से भी जाना जाता है। राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1969 को कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था। इन्हें तूफान सिंह के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता राजा उदय प्रताप सिंह अवध एस्टेट के शाही परिवार से हैं। राजा भैया के दादा पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक वाइस-चांसलर थे और बाद में वह हिमाचल प्रदेश के दूसरे राज्यपाल बने।
राजनीति में करियर बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह अपने परिवार के पहले व्यक्ति हैं। रघुराज प्रताप सिंह के दादा ने अपने भतीजे और राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप सिंह को पुत्र के रूप में अपनाया था। साल 2002 में भाजपा नेता पूरन सिंह बुंदेला ने राजा भैया पर कथित तौर पर अपहरण और धमकी देने के आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2 नवंबर 2002 को तड़के 4 बजे रघुराज प्रताप सिंह को गिरफ्तार करवाया बाद में मायावती के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने राजा भैया को आतंकवादी घोषित कर दिया और राजा भैया, उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को पोटा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया।
2002 और 2007 के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में भी राजा भैया निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीते और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार में खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री बने। इससे पहले वह कल्याण सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे राजा भैया ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी भाजपा के जानकी शरण को 1 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था। 2017 में जीत के साथ ही वह लगातार छठी बार कुंडा विधानसभा से जीतकर विधानसभा पहुंचे। साल 2018 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन किया और उसका नाम जनसत्ता दल लोकतांत्रित रखा। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने दो प्रत्याशी भी मैदान में उतारे थे।राजा भैया ने साल 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। विधानसभा चुनाव 2017 में दिए हलफनामे के अनुसार उनका व्यवसाय खेती-किसानी है। यही नहीं उन्होंने हलफनामे में बताया कि उनकी पत्नी भानवी कुमारी सिंह का व्यवसाय खेती और बिजनेस है। मौजूदा समय में राजा भैया कुंडा से अपनी पार्टी जनसत्ता दल से विधायक हैं।