हिमाचल प्रदेश में कई दिनों से बारिश का कहर और प्राकृतिक आपदा से भारी नुकसान से राज्य के कई जिले बुरी तरह प्रभावित हैं । कई दिनों से हिमाचल प्रदेश में पुल, सड़क और वाहन (गाड़ियां) ऐसे बहे जा रहे हैं जैसे फिल्मों में दिखाई देता है। एक बार फिर हिमाचल में बारिश के बाद मंडी, कुल्लू और ऊना में भारी नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में भारी बारिश के चलते मणिकर्ण घाटी के बलाधी गांव को जोड़ने वाला एकमात्र पैदल पुल मलाणा खड्ड में तेज बहाव की चपेट में आकर बह गया। पुल के बहने से ग्रामीणों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे गांव का संपर्क बाहरी दुनिया से कट गया है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पार्वती घाटी में आई बाढ़ ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मलाणा-1 जल विद्युत परियोजना द्वारा बनाया गया कॉफर डैम आंशिक रूप से टूट गया। इस हादसे में एक हाइड्रा मशीन, एक डम्पर और कार पानी में बह गई। जबकि, मंडी के थलौट में पहाड़ी से बड़ा पत्थर गिरने से उत्तम राम नाम के व्यक्ति का घर एक सेकेंड में मिट्टी में मिल गया। घर तोड़ने के बाद यह चट्टान कुछ दूरी पर जाकर रुकी।
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में बीते 24 घंटे के दौरान मूसलाधार बारिश से शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में 100 से ज्यादा घरों में पानी घुस गया। सड़कों पर खड़ी गाड़ियां आधी डूब गईं। ऊना में बीते 24 घंटे के दौरान 222.8 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।हिमाचल के ऊना शहर में भारी बारिश के बाद घरों में पानी घुस गया, पुलों के ऊपर से पानी गुजरने लगा। यहां 14 साल बाद रिकॉर्ड बारिश हुई है। मंडी में पहाड़ी से पत्थर गिरने से घर टूट गया।
14 सालों बाद इतनी बारिश हुई है। इससे पहले साल 2011 में रिकॉर्ड 342 मिमी बारिश हुई थी। ऊना में शनिवार सुबह करीब 3 बजे बारिश शुरू हुई थी। सुबह 9 बजे बारिश थम गई। लेकिन 6 घंटे की बारिश में ही कई इलाकों में 2-3 फीट पानी भर गया। ऊना बाजार के साथ लगे पुल के ऊपर से पानी बहने लगा।



इसके अलावा कुल्लू, मंडी और शिमला में भी भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है। चंडीगढ़-मनाली फोरलेन लैंडस्लाइड के बाद मंडी में कैंची मोड़ के पास रात में दोबारा बंद हो गया। सुबह 9 बजे इसे बहाल कर दिया गया।