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July 21, 2025
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Vice President Jagdeep Dhankhar resign : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से दिया इस्तीफा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में कहा कि वो स्वास्थ्य कारणों के कारण भारत के उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे रहे हैं।



जगदीप धनखड़ ने क्यों दिया इस्तीफा


जगदीप धनखड़ ने कहा- “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत की माननीय राष्ट्रपति महोदय के प्रति उनके अटूट सहयोग तथा मेरे कार्यकाल के दौरान हमारे बीच बने सुखद एवं अद्भुत कार्य संबंध के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

Jagdeep Dhankhar: जनता दल से सांसद, कांग्रेस से विधायक… NDA से बने उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ का जानिए राजनीतिक सफर

किठाना गांव में पैदा हुए जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान में झुंझुनूं के किठाना गांव में 18 मई 1951 को हुआ था। कक्षा 1 से 5वीं तक की पढ़ाई धनखड़ ने गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय से ही की। इसके बाद गांव से 4-5 किलोमीटर दूर स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय, गढ़धाना में 6वीं में पढ़ाई की। वह गांव के अन्य छात्रों के साथ पैदल स्कूल जाते थे। 1962 में चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, फुल मेरिट स्कॉलरशिप पर स्कूल में कक्षा 5 में प्रवेश मिला। चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा उत्तीर्ण की।

जनता दल से राजनीतिक सफर की शुरुआत

एलएलबी करने के बाद जगदीप धनखड़ ने वकालत शुरू की और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट बने। जगदीप धनखड़ ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत जनता दल से की और 1989 में जनता दल के टिकट पर पहली झुंझझूं से सांसद चुने गए। चंद्रशेखर सरकार में धनखड़ मंत्री भी रहे।

1991 में कांग्रेस में हुए शामिल


जनता दल में टूट के बाद जगदीप धनखड़ 1991 में कांग्रेस पार्टी में शामलि हो गए और अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा। बाद में धनखड़ कांग्रेस पार्टी से किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने। जगदीप धनखड़ 2003 में भाजपा में शामलि हुए। 2016 में पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए कानूनी मामलों का विभाग प्रमुख बनाया।

इसके बाद 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ को राज्यपाल बनाया गया। बंगाल के राज्यपाल रहते ममता सरकार के साथ उनका विवाद सुर्खियां में रहा। इसके बाद 2022 के उपराष्ट्रपति के चुनाव में जगदीप धनखड़ एनडीए की ओर से उम्मीदवार बने। चुनाव में जीत दर्ज करने पर 11 अगस्त 2022 को जगदीप धनखड़ 14वें उपराष्ट्रपति बने।

कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति

जगदीप धनखड़ से पहले दो और उपराष्ट्रपति हुए जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. कृष्ण कांत ने 21 अगस्त, 1997 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। लेकिन 27 जुलाई, 2002 को कार्यकाल के दौरान ही उनका निधन हो गया। इस कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इसके अलावा, वराहगिरि वेंकट गिरि (V.V. Giri) ने भी 1969 में उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दे दिया था, ताकि राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें। जगदीप धनखड़ ने 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त, 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। जगदीप धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल से ही पूरी की। इसके बाद स्कॉलरशिप हासिल करके चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ने चले गए। धनखड़ का नेशनल डिफेंस एकेडमी में चयन हो गया था, लेकिन वह नहीं गए।

जगदीप धनखड़ की राजनीति में चौ. देवीलाल ने कराई एंट्री

उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। राजस्थान यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई पूरी की। फिर जयुपर में ही रहकर वकालत शुरू की और राजस्थान हाई कोर्ट के एक जाने-माने वकील रहे। धनखड़ ने वर्ष 1979 में राजस्थान बार काउंसिल की सदस्यता ली। 27 मार्च, 1990 को वह राजस्थान उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। उसी समय वह सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस करते रहे। वह 1987 में राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी चुने गए। जगदीप धनखड़ चौधरी देवीलाल की राजनीति से प्रभावित थे। देवीलाल ही उन्हें राजनीति में लेकर आए। साल 1989 में देवीलाल का 75वां जन्मदिन था। जगदीप धनखड़ राजस्थान से 75 गाड़ियों का काफिला लेकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने दिल्ली पहुंचे थे। इसी साल के अंत में लोकसभा चुनाव हुए। राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले वीपी सिंह ने उनके खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया था। वीपी सिंह के जनता दल ने जगदीप धनखड़ को उनके गृहनगर झुंझुनू से टिकट दे दिया‌। वीपी सिंह की सरकार बनी। देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने और जगदीप धनखड़ को केंद्र में मंत्री पद मिला।

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