बुधवार, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्म दिवस है। नरेंद्र मोदी तीन बार से लगातार भारत के प्रधानमंत्री हैं। इस बार उनका जन्म दिवस कई मायनों में खास भी है। पीएम मोदी के जन्म दिवस से पहले बधाई और शुभकामनाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। आइए जानते हैं देश के प्रधानमंत्री के बारे में । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में हुआ। परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था लेकिन परिश्रम और आत्मनिर्भरता उनके संस्कारों का हिस्सा रहे। बचपन में रेलवे स्टेशन पर पिता की मदद से चाय बेचना कोई असामान्य घटना नहीं बल्कि संघर्ष और आत्मसम्मान से भरे जीवन की शुरुआती परत थी।
स्कूली जीवन में भी उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ वाद-विवाद, नाटक और समाजसेवा जैसी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की। यही जिज्ञासा और सक्रियता आगे चलकर उनके व्यक्तित्व का आधार बनी।
आध्यात्मिकता और आत्मसंयम की खोज
किशोरावस्था में ही मोदी का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर हुआ। वे हिमालय की ओर निकल पड़े और साधुओं-संन्यासियों के संपर्क में रहे। ऐसा प्रतीत होता है कि यह यात्रा केवल धार्मिक भावनाओं तक सीमित नहीं थी बल्कि आत्मनियंत्रण, आत्मसंयम और सेवा-भावना की गहराई तक पहुंचने का प्रयास भी थी।
आध्यात्मिकता ने मोदी जी के भीतर वह दृढ़ता पैदा की जिसने उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी संतुलित बनाए रखा। बाद के वर्षों में यही तत्व उनकी राजनीति और नेतृत्व शैली में साफ दिखाई देता है, जहां हर निर्णय के पीछे एक गहरी दृष्टि भी नज़र आती है।
संघ और संगठन का संस्कार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ाव नरेंद्र मोदी के जीवन का निर्णायक मोड़ था। युवा अवस्था में वे पूर्णकालिक प्रचारक बने। संघ ने उन्हें अनुशासन, संगठन-शक्ति और राष्ट्रसेवा की वास्तविक शिक्षा दी। वर्ष 1975 में इमरजेंसी के दौरान उन्होंने भूमिगत रहते हुए लोकतंत्र की रक्षा के काम में सक्रिय भागीदारी की। उस दौर में साहस और संगठन क्षमता के कारण वे नेतृत्व की नज़र में आए। यही अनुभव उनके राजनीतिक जीवन की नींव बने।
भाजपा और संगठनात्मक कौशल
1987 में नरेंद्र मोदी औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। उन्होंने संगठन के विस्तार और चुनावी रणनीति बनाने में अद्वितीय कौशल दिखाया। 1990 के दशक के राम जन्मभूमि आंदोलन और उसके बाद के अभियानों में उनकी भूमिका रणनीतिकार के रूप में महत्वपूर्ण रही। उनकी यही क्षमता थी कि पार्टी ने उन्हें राज्य स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक लगातार जिम्मेदारियां दीं।
गुजरात के मुख्यमंत्री: विकास मॉडल की प्रयोगशाला
2001 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब राज्य भूकंप जैसी त्रासदी से जूझ रहा था। उन्होंने राहत कार्यों को तेज़ी से संगठित किया और जल्द ही राज्य को विकास की नई दिशा दी। उनके कार्यकाल में बुनियादी ढांचे का विस्तार, निवेश का माहौल, बिजली उत्पादन और सड़क निर्माण में गुजरात ने उल्लेखनीय प्रगति की। ‘वाइब्रेंट गुजरात’ शिखर सम्मेलन ने राज्य को वैश्विक निवेश का केंद्र बना दिया। यही मॉडल आगे चलकर ‘गुजरात मॉडल’ के नाम से राष्ट्रीय राजनीति का बड़ा मुद्दा बना।
2014 : राष्ट्रीय राजनीति का निर्णायक क्षण
2014 का लोकसभा चुनाव भारतीय राजनीति के लिए ऐतिहासिक रहा। नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने। उनके गुजरात मॉडल, चुनावी रैलियों, भाषणों और ‘अच्छे दिन’ की परिकल्पना ने जनता में गहरी उम्मीद जगाई। परिणामस्वरूप भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई। यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं था बल्कि भारतीय राजनीति में विकास और निर्णायक नेतृत्व की मांग की पुष्टि भी थी।
मोदी सरकार की प्रमुख पहलें
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने कई ऐतिहासिक पहलें कीं। ऐसी ही एक पहल शुरू हुई, स्वच्छ भारत अभियान जिसने देखते ही देखते स्वच्छता को जनांदोलन में बदल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई जन धन योजना ने करोड़ों लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा। उज्ज्वला योजना ने गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए। स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से लाखों गरीब परिवारों को सुरक्षा देने के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई। मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया ने औद्योगिक विकास और तकनीकी क्रांति को गति दी। पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत कोविड-19 महामारी के बाद आत्मनिर्भरता को राष्ट्रीय लक्ष्य बनाया।
इसके साथ ही तीन तलाक कानून, नागरिकता संशोधन अधिनियम और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना और इनकम टैक्स रिफॉर्म व जीएसपी 2.0 जैसे बड़े फैसले भी इस दौर में हुए।
धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में मोदी सरकार की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक जीवन जितना विकास और प्रशासनिक सुधारों से जुड़ा है, उतना ही उनकी दृष्टि धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहरों के संरक्षण एवं पुनर्निर्माण से भी जुड़ी रही है। उनके कार्यकाल में कई ऐसे फैसले और परियोजनाएं सामने आईं, जिन्होंने भारत की आस्था को नई ऊर्जा दी और इन स्थलों को वैश्विक पहचान दिलाई।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर
वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है। गंगा घाट से सीधे मंदिर तक पहुंच की व्यवस्था, विशाल प्रांगण और आधुनिक सुविधाओं ने इस धाम को देशभर के श्रद्धालुओं के लिए सुगम बना दिया। यह परियोजना भारतीय संस्कृति और आस्था को नई पहचान देने वाली मानी जाती है।
अयोध्या राम मंदिर और सांस्कृतिक पुनर्जागरण
राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार के कार्यकाल में ही संभव हुआ। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया। अयोध्या में बुनियादी ढांचे का व्यापक विकास और हवाई अड्डा निर्माण ने इसे वैश्विक धार्मिक-पर्यटन केंद्र बना दिया।
सोमनाथ और महाकाल लोक का विकास
गुजरात के सोमनाथ मंदिर और मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर परिसर का विस्तार और आधुनिकीकरण हुआ। सोमनाथ प्रदर्शनी गैलरी, समुद्र दर्शन पथ और महाकाल लोक कॉरिडोर जैसे कार्यों ने इन स्थलों की गरिमा और आकर्षण को कई गुना बढ़ा दिया।
केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण
2013 की आपदा के बाद खंडहर बने केदारनाथ धाम को मोदी सरकार ने नया जीवन दिया। मंदिर परिसर का पुनर्निर्माण, आदि शंकराचार्य की समाधि का पुनर्निर्माण और यात्रियों के लिए सुविधाओं का विकास प्रधानमंत्री की विशेष देखरेख में पूरा हुआ।
चारधाम परियोजना
चारधाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड परियोजना ने तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाया। यह प्रधानमंत्री मोदी के ‘आस्था और सुविधा’ दोनों को संतुलित करने की दृष्टि का उदाहरण है।
राष्ट्रीय तीर्थ क्षेत्र और धार्मिक पर्यटन
प्रसाद योजना (PRASAD scheme) के तहत वाराणसी, अयोध्या, अजमेर शरीफ, कामाख्या मंदिर और अमरनाथ सहित कई तीर्थस्थलों का विकास हुआ। इस योजना ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मज़बूती दी।
बौद्ध सर्किट और वैश्विक पहचान
बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर और लुंबिनी जैसे बौद्ध स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और सशक्त करने के लिए बड़े कदम उठाए गए। कुशीनगर हवाई अड्डे का उद्घाटन इसका बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने बौद्ध देशों के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक कूटनीति को भी मज़बूती दी।
योग और सांस्कृतिक कूटनीति
संयुक्त राष्ट्र में 2014 में योग दिवस का प्रस्ताव पीएम मोदी ने ही रखा जो 2015 से हर साल 21 जून को मनाया जाता है। यह न केवल भारत की आध्यात्मिक परंपरा बल्कि वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक नेतृत्व का प्रतीक बन गया।
विदेश नीति और भारत की नई छवि
पीएम मोदी की विदेश नीति ने भी भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई। उन्होंने अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देशों, अफ्रीका और एशिया में भारत के रिश्तों को मज़बूत किया। 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेज़बानी भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव का प्रमाण थी। उनकी विदेश यात्राएं और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में उपस्थिति भारत की सशक्त छवि पेश करने में अहम साबित हुई।
मोदी 2.0 : निर्णायक फैसलों का कार्यकाल
2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। अनुच्छेद 370 का हटना, नागरिकता संशोधन अधिनियम, जल जीवन मिशन और कोविड-19 के दौरान वैक्सीनेशन अभियान उनकी दृढ़ता के प्रतीक बने।
कोविड काल में भारत ने न केवल अपने नागरिकों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया बल्कि ‘वैक्सीन मित्र’ बनकर कई देशों को भी सहायता दी। इससे भारत की छवि ‘वैश्विक सहयोगी’ के रूप में और मज़बूत हुई।
मोदी 3.0 : विकसित भारत 2047 की ओर
2024 के चुनावों में लगातार तीसरी बार जीतकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत 2047’ का संकल्प सामने रखा। उनका लक्ष्य है कि स्वतंत्रता की शताब्दी तक भारत विकसित राष्ट्र बने। इस लक्ष्य के लिए मज़बूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था, युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार, तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप्स का विस्तार, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास सहित वैश्विक मंच पर भारत की निर्णायक नेतृत्व भूमिका उनकी प्राथमिकताएं हैं।
आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संतुलन
नरेंद्र मोदी की राजनीतिक और आध्यात्मिक यात्रा भारत के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का दर्पण है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर प्रधानमंत्री बनना अपने आप में प्रेरक है लेकिन उससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है वह दृष्टि, जिसके आधार पर वे देश को विकसित राष्ट्र की ओर ले जाने की बात करते हैं।
उनका नेतृत्व केवल चुनावी जीत तक सीमित नहीं दिखता बल्कि भारत की आत्मा को आधुनिकता और परंपरा के संतुलन के साथ आगे बढ़ाने का प्रयास है। आज यह तथ्य निर्विवाद है कि पीएम मोदी ने भारतीय राजनीति को निर्णायक नेतृत्व, तेज़ निर्णय और वैश्विक स्तर पर आत्मविश्वास का प्रतीक बनाया है।
-(वरिष्ठ पत्रकार अमित शर्मा की राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, राजनीतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मुद्दों पर गहरी पकड़ है। वर्तमान में वे प्रसार भारती न्यूज सर्विस के साथ जुड़े हैं।)