चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन पर आज और कल दुनिया की नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि यहाँ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें होंगी। यह मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत-अमेरिका संबंध तनावपूर्ण हैं, और भारत SCO के मंच से वैश्विक व्यापार और सुरक्षा मामलों में अपना कड़ा रुख दिखाने की कोशिश कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सात साल बाद चीन की धरती पर कदम रखा है। पिछली बार उनकी 2018 में वुहान यात्रा डोकलाम गतिरोध के समय हुई थी, जबकि इस बार परिस्थितियाँ पूरी तरह बदल चुकी हैं। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और ट्रंप की व्यापार नीतियों के बीच भारत और चीन अपने द्विपक्षीय संबंधों को फिर से मजबूती देने का प्रयास कर रहे हैं।
आज, 30 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी तियानजिन पहुंचे और SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें दोनों देशों ने व्यापार, सीमा विवाद और आतंकवाद के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। अगले दिन, 1 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बैठक करेंगे, जिसमें ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और वैश्विक व्यापार नीतियों पर विचार-विमर्श होगा।
इस SCO शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस के अलावा पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के प्रमुख नेता भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोग़ान भी शामिल हैं। सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास, क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
विशेष रूप से, भारत ने आतंकवाद और सुरक्षा मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है और सदस्य देशों से ठोस कार्रवाई की मांग की है। SCO के मंच से भारत ने यह संदेश भी दिया कि अमेरिका के टैरिफ और वैश्विक व्यापार में उत्पन्न तनाव के बावजूद वह अपने सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत करने और स्थिर वैश्विक आर्थिक माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
तियानजिन में आयोजित यह शिखर सम्मेलन न केवल सदस्य देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत के लिए अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक मजबूत संदेश भी साबित होगा। प्रधानमंत्री मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन की यह तिकड़ी वैश्विक कूटनीति में कई महत्वपूर्ण संकेत भेजेगी, जो आने वाले दिनों में क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर असर डाल सकती है।
तियानजिन: चीन का प्रमुख बंदरगाह शहर SCO शिखर सम्मेलन का केंद्र
चीन के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित तियानजिन शहर आज और कल दुनिया की नजरों का केंद्र बना रहेगा, क्योंकि यहाँ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 25वां शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। तियानजिन, बीजिंग से लगभग 120 किलोमीटर दूर है और इसका समुद्री बंदरगाह बोहाई की खाड़ी में स्थित होने के कारण चीन के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक माना जाता है। शहर का औद्योगिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व इसे SCO जैसी वैश्विक बैठकों के लिए आदर्श बनाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल बाद चीन की धरती पर कदम रखा है। आज, 30 अगस्त को उन्होंने तियानजिन पहुंचकर SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें दोनों देशों ने व्यापार, सीमा विवाद और आतंकवाद के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। अगले दिन, 1 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे, जिसमें ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सहयोग और वैश्विक व्यापार नीतियों पर विचार-विमर्श होगा।
इस सम्मेलन में भारत, चीन और रूस के अलावा पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस, कजाखस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान के प्रमुख नेता भाग ले रहे हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोग़ान भी इसमें शामिल हैं। सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास, क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
तियानजिन का ऐतिहासिक महत्व भी है। 19वीं और 20वीं सदी में यह शहर विदेशी शक्तियों का व्यापारिक केंद्र रहा और यहाँ यूरोपीय शैली की वास्तुकला और पुराने शहर के बाजार आज भी देखे जा सकते हैं। शहर का आधुनिक मेट्रो नेटवर्क, उच्च तकनीक औद्योगिक पार्क और तियानजिन फ्री ट्रेड जोन इसे निवेश और व्यापार के लिए आकर्षक बनाते हैं।
SCO मंच पर भारत ने यह संदेश दिया कि अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार में उत्पन्न तनाव के बावजूद वह अपने सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत करने और स्थिर वैश्विक आर्थिक माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन की यह तिकड़ी वैश्विक कूटनीति में कई महत्वपूर्ण संकेत भेजेगी, जो आने वाले दिनों में क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर असर डाल सकते हैं।