कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्ष 26 राजनीतिक दलों के साथ बड़ी बैठक कर रहा है। वहीं राजधानी दिल्ली में भी आज शाम 4 बजे भाजपा अपने सहयोगी एनडीए के साथ बैठक करने जा रही है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं। भाजपा को लोकसभा में जीत की हैट्रिक बनाने से रोकने के लिए संयुक्त विपक्षी मोर्चा बनाने की कवायद चल रही है। इसके लिए पिछले महीने 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। इस बैठक का दूसरा चरण अब बेंगलुरु में चल रहा है। पटना में आए 15 दलों के मुकाबले बेंगलूरु में इस बैठक में भाग लेने के लिए 26 दल पहुंचे हुए हैं। इससे विपक्षी दलों का हौसला और ज्यादा बढ़ा है। भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन विपक्ष की इस कवायद पर एक तंज के साथ सवाल खड़े कर रहा है कि विपक्षी मोर्चे में प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा? कांग्रेस ने बेंगलुरु में मीटिंग विपक्ष की साझा बैठक की शुरुआत के साथ ही इस सवाल से खुद को दूर कर लिया है। कांग्रेस ने साफ कह दिया है कि उसे पीएम पद नहीं चाहिए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, हम पहले ही चेन्नई में एमके स्टालिन के बर्थडे पर कह चुके हैं कि कांग्रेस की सत्ता में या प्रधानमंत्री पद में कोई दिलचस्पी नहीं है । इस बैठक में हमारी मंशा अपने लिए ताकत पाना नहीं है। यह हमारे संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षवाद और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए है।
मतभेद हैं, लेकिन वैचारिक दूरी नहीं
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, हम जानते हैं कि राज्य स्तर पर हममें से कुछ लोगों के बीच मतभेद हैं। ये मतभेद वैचारिक नहीं हैं। आम आदमी और मध्यम वर्ग, युवाओं, गरीबों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को पर्दे के पीछे चुपचाप कुचला जा रहा है। हमारे मतभेद इतने बड़े नहीं हैं कि हम इन लोगों के लिए मतभेद अपने पीछे नहीं रख सकते।
भाजपा करती है सहयोगियों का इस्तेमाल
खड़गे ने कहा, हम इस बैठक में 26 दल हैं, जिनकी 11 राज्यों में सरकार है। भाजपा को अकेले 303 सीट नहीं मिली थी। वह अपने सहयोगियों के वोट का इस्तेमाल करती है। सत्ता में आती है और फिर उन्हें छोड़ देती है। भाजपा अध्यक्ष और उनके नेता आज फिर अपने पुराने सहयोगियों को जोड़ने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में भाग रहे हैं।