हमारी आजीविका को बनाए रखने में महासागरों की महत्वपूर्ण भूमिका और उन्हें विनाश से बचाने की आवश्यकता की याद दिलाने के लिए हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुसार, महासागर हमारे ग्रह के फेफड़े हैं और भोजन और दवा का प्रमुख स्रोत हैं, और जीवमंडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। महासागर पृथ्वी की सतह का लगभग 71% कवर करते हैं और ग्रह की जलवायु को बनाए रखने, तापमान को नियंत्रित करने और ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे अविश्वसनीय रूप से विविध समुद्री जीवन का समर्थन करते हैं, लाखों लोगों के लिए भोजन और आजीविका प्रदान करते हैं, और प्रेरणा और मनोरंजन के स्रोत के रूप में काम करते हैं। इस वर्ष विश्व महासागरीय दिवस की थीम है “महासागर ग्रह: ज्वार बदल रहे हैं।
समुद्र पृथ्वी के अधिकांश हिस्से को कवर करता है, लेकिन इसके पानी के केवल एक छोटे से हिस्से का पता लगाया गया है। मानवता की इस पर पूरी तरह से निर्भरता के बावजूद, और यह हमें जो देता है उसकी चौड़ाई और गहराई की तुलना में, महासागर बदले में हमारे ध्यान और संसाधनों का केवल एक टुकड़ा प्राप्त करता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व महासागर दिवस समुद्र पर मानव कार्यों के प्रभाव के बारे में जनता को सूचित करने और महासागरों के लिए नागरिकों के विश्वव्यापी आंदोलन को विकसित करने के लिए मनाया जाता है।महासागरों का धरती की सतह पर ऊष्मा के चक्र का संतुलन बनाकर रखने में बड़ी भूमिका है। सामान्य तौर पर धरती से मानवजनित और अन्य चीजों से उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा वायुमंडल में पहुंच जाती है जिसकी वजह से वायुमंडल गर्म होना शुरू हो जाता है, लेकिन काफी ऊष्मा को महासागर में अपने अंदर ले लेता है। इससे वायुमंडल और धरती पर ऊष्मा के दबाव में कमी आ जती है। इसके साथ ही महासागर की धरती के पर्यावरण की कई अहम प्रक्रियाएं और पारिस्थितिकी तंत्रों को संतुलित रखने में बड़ी भूमिका है।

बता दें कि साल 1992 में रियो डी जेनेरियो में हुए ‘पृथ्वी ग्रह’ नामक फोरम में हर साल विश्व महासागर दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। तब कनाडा के इंटरनेशनल सेंटर फॉर ओशन डेवलपमेंट तथा ओशन इंस्टीट्यूट ऑफ कनाडा द्वारा पृथ्वी शिखर सम्मेलन में इसकी अवधारणा का प्रस्ताव रखा गया था। जिसका मकसद लोगों को महासागरों पर मानवीय क्रियाकलापों के प्रभावों को सूचित करना, महासागर के लिए नागरिकों का एक विश्वव्यापी आंदोलन विकसित करना और देशभर के महासागरों के स्थायी प्रबंधन के लिए एक परियोजन पर वैश्विक आबादी को एकजुट करना था। साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस अवलोकन को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई, जिसके बाद यह दिवस ‘द ओशन प्रोजेक्ट’ तथा ‘वर्ल्ड ओशन नेटवर्क’ के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल 8 जून को मनाया जाने लगा।जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा, पारिस्थितिकी संतुलन, जलवायु परिवर्तन, सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग इत्यादि विषयों पर प्रकाश डालना और महासागरों की वजह से आने वाली चुनौतियों के बारे में दुनिया में जागरूकता पैदा करना ही इस दिवस को मनाने का खास उद्देश्य है। दरअसल पृथ्वी और हमारे जीवन में समुद्रों का बहुत अहम स्थान है, लेकिन फिर भी हम इसके संरक्षण पर कोई भी खास ध्यान नहीं देते हैं। संरक्षण के बजाय हम इसे दूषित करने में लगे हुए हैं। जिस वजह से दुनियाभर के महासागर बढ़ते मानवीय क्रियाकलापों के कारण बुरी तरह प्रदूषित हो रहे हैं।