प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री इशिबा शिगेरू ने शुक्रवार को टोक्यो में हुई 15वीं वार्षिक शिखर वार्ता के दौरान भारत-जापान साझा विजन को अपनाया। इसके मुताबिक दोनों देशों ने अगले दस वर्षों के लिए आठ प्रमुख क्षेत्रों में विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने का संकल्प लिया। विजन का उद्देश्य एक मुक्त, खुले, शांतिपूर्ण, समृद्ध और दबाव-मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देना और आने वाली पीढ़ियों के लिए ठोस सहयोग स्थापित करना है।
इस संयुक्त घोषणा में पहला क्षेत्र नेक्स्ट जेनरेशन आर्थिक साझेदारी है, जिसके तहत जापान ने भारत में अब तक तय किए गए 2022-2026 के 5 ट्रिलियन येन निवेश लक्ष्य से आगे बढ़कर 10 ट्रिलियन येन का नया निजी निवेश लक्ष्य तय किया है। दोनों देश व्यापार बढ़ाने के लिए भारत-जापान व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CEPA) की समीक्षा को तेज करेंगे और “मेक इन इंडिया” पहल को मजबूत करने के लिए औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देंगे। साथ ही भुगतान प्रणाली, लघु एवं मध्यम उद्योगों (SMEs), खाद्य सुरक्षा, एग्री-बिजनेस, आईसीटी और अफ्रीका में संयुक्त विकास परियोजनाओं पर भी जोर दिया गया है।
दूसरा क्षेत्र आर्थिक सुरक्षा साझेदारी है। इसके तहत दोनों देश आपूर्ति श्रृंखला, सेमीकंडक्टर, क्रिटिकल मिनरल्स, दवाओं, बायोटेक्नोलॉजी, दूरसंचार, क्लीन एनर्जी और नई तकनीकों में सहयोग करेंगे। “जापान-इंडिया एआई कोऑपरेशन इनिशिएटिव (JAI)” और बैटरी सप्लाई चेन सहयोग भी इस दिशा में शामिल हैं।
तीसरे क्षेत्र नेक्स्ट जेनरेशन मोबिलिटी के तहत भारत-जापान हाई-स्पीड रेल, मेट्रो, स्मार्ट सिटी, ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट, कोल्ड-चेन लॉजिस्टिक्स और 3डी शहरी योजना जैसे क्षेत्रों में साझेदारी करेंगे। साथ ही “मेक इन इंडिया” के तहत भारत में ही रेल, मेट्रो और परिवहन से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकों का निर्माण कर वैश्विक निर्यात की दिशा में काम होगा।
चौथा क्षेत्र पर्यावरण और इकोलॉजिकल लेगेसी है। इसमें दोनों देश जलवायु परिवर्तन, नेट-जीरो लक्ष्यों, नवीकरणीय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, सतत कृषि, हाइड्रोजन ऊर्जा, ग्रीन टेक्नोलॉजी और पर्यावरण संरक्षण पर मिलकर काम करेंगे। “इंडिया-जापान क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप” और “ज्वाइंट क्रेडिटिंग मैकेनिज़्म” इसके अहम हिस्से हैं।
पांचवा क्षेत्र तकनीक और नवाचार साझेदारी है। इसके तहत दोनों देश क्वांटम टेक्नोलॉजी, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग, स्पेस टेक्नोलॉजी (LUPEX मिशन), न्यूक्लियर रिसर्च, एग्रीकल्चर इनोवेशन और स्टार्टअप सहयोग को बढ़ावा देंगे। “जापान-इंडिया स्टार्टअप सपोर्ट इनिशिएटिव (JISSI)” और “इंडिया-जापान फंड ऑफ फंड्स” के जरिए स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
वहीं छठा क्षेत्र स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग है। भारत के “आयुष्मान भारत” और जापान के “एशिया हेल्थ एंड वेलबीइंग इनिशिएटिव” के तहत दोनों देश यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, जेरियाट्रिक मेडिसिन, स्टेम सेल, डिजिटल हेल्थ, कैंसर उपचार, योग-आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के प्रचार पर काम करेंगे। जापान में योग और आयुर्वेद केंद्र खोलने पर भी सहमति बनी।
सातवां क्षेत्र जन-से-जन साझेदारी है। इसके तहत अगले पांच वर्षों में दोनों देशों के बीच 5 लाख से अधिक लोगों का आदान-प्रदान होगा, जिसमें 50,000 कुशल भारतीय पेशेवर जापान जाएंगे। “इंडिया-जापान टैलेंट ब्रिज (IJTB)”, “इंडिया-निप्पॉन प्रोग्राम फॉर एप्लाइड कंपिटेंसी ट्रेनिंग (INPACT)” और “NIHONGO पार्टनर्स” जैसी पहलें युवाओं और पेशेवरों को जोड़ेंगी। शिक्षा और शोध सहयोग भी बढ़ेगा।
आठवां क्षेत्र राज्य और प्रीफेक्चर साझेदारी है, यानी दोनों देशों के राज्यों के बीच सहयोग। इसके तहत भारत के राज्यों और जापान के प्रीफेक्चर के बीच सिस्टर-सिटी और सिस्टर-स्टेट संबंधों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बढ़ाई जाएंगी और “इंडिया-कानसाई बिजनेस फोरम” तथा “इंडिया-क्यूशू सहयोग” जैसी पहलें स्थानीय उद्योगों और व्यापार को बढ़ावा देंगी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी की 29-30 अगस्त 2025 को जापान यात्रा के दौरान यह संयुक्त दस्तावेज अपनाया गया। दोनों देशों ने विश्वास जताया कि यह साझा विजन आने वाले दशक में भारत-जापान साझेदारी को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा और अगली पीढ़ियों के लिए ठोस लाभ सुनिश्चित करेगा।-
भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन : दोनों देशों ने रक्षा, व्यापार और इंडो-पैसिफिक सहयोग पर जताई सहमति
भारत और जापान ने शुक्रवार को 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान सुरक्षा सहयोग, व्यापार और इंडो पैसिफिक सहयोग पर संयुक्त घोषणा की। इसके तहत दोनों देशों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने,अंतरराष्ट्रीय कानून आधारित व्यवस्था को मजबूत करने और रक्षा सहयोग को गहराई देने का संकल्प लिया। समझौते के मुताबिक दोनों सेनाओं के बीच और अधिक जटिल और उन्नत सैन्य अभ्यास होंगे और मानवीय व आपदा राहत कार्यों में सहयोग बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही दोनों देशों के विशेष बलों के बीच सहयोग और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट साझा करने पर भी जोर दिया जाएगा। इसके अलावा आतंकवाद-रोधी, शांति स्थापना और साइबर रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने का फैसला लिया गया है।
वहीं दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। इसमें दोनों देशों की नौसेनाओं और तटरक्षकों के बीच अधिक बार अभ्यास और बंदरगाह यात्राएं, समुद्री निगरानी में सहयोग, समुद्री अपराधों के खिलाफ कानून प्रवर्तन और आपदा प्रबंधन में साझेदारी शामिल हैं। औद्योगिक और तकनीकी सहयोग को लेकर दोनों देशों ने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी के सह-विकास और सह-उत्पादन की संभावनाओं का अध्ययन करने, रक्षा उद्योग फोरम को पुनर्जीवित करने और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तथा जापान की ATLA के बीच सहयोग बढ़ाने का फैसला किया। इसमें महत्वपूर्ण खनिज, सैन्य चिकित्सा और आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं।
भारत और जापान ने नई और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और स्पेस में भी सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है। साथ ही, स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस और अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन पर भी मिलकर काम करेंगे। क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर दोनों देशों ने आतंकवाद की हर रूप में निंदा की और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली सामग्री व वित्तीय सहायता को तुरंत समाप्त करने का आह्वान किया। इसके अलावा दोनों देशों ने एक-दूसरे के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन करने और परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद को और मजबूत करने पर भी सहमति बनी। इसमें विदेश और रक्षा मंत्रियों की 2+2 वार्ता, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की वार्षिक बैठक, आर्थिक सुरक्षा संवाद, तटरक्षक प्रमुखों की बैठक और थिंक-टैंकों का ट्रैक 1.5 संवाद शामिल होगा। इस घोषणा के साथ भारत-जापान विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी एक नए चरण में प्रवेश कर गई है, जो दोनों देशों की साझा प्राथमिकताओं और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण होगी।