महिलाओं की मांग पर सिंदूर सुहाग की निशानी माना जाता है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए सिंदूर लगाती हैं। लेकिन छठ महापर्व पर सुहागिनों का सिंदूर लगाने का तरीका अलग होता है। आमतौर पर सिंदूर महिलाएं मांग से माथे पर लगाती है लेकिन छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लगाती हैं। बता दें कि छठ पूजा में विधि विधान से पूजा के साथ ही सिंदूर का भी काफी महत्व माना गया है। यही वजह है कि इस दिन महिलाएं लंबा सिंदूर लगाए हुए नजर आती हैं। संतान के अलावा छठ का व्रत पति की लंबी आयु की कामना से भी रखा जाता है। इसलिए इस पूजा में सुहाग के प्रतीक सिंदूर का खास महत्व है। इस दिन स्त्रियां अपने पति और संतान के लिए बड़ी निष्ठा और तपस्या से व्रत रखती हैं। हिंदू धर्म में विवाह के बाद मांग में सिंदूर भरने को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा में भी महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं। मान्यता है कि मांग में लंबा सिंदूर भरने से पति की आयु लंबी होती है। कहा जाता है कि विवाहित महिलाओं को सिंदूर लंबा और ऐसा लगाना चाहिए जो सभी को दिखे। ये सिंदूर माथे से शुरू होकर जितनी लंबी मांग हो उतना भरा जाना चाहिए। मान्यता है कि जो भी महिलाएं पूरे नियमों के साथ छठ व्रत को करती हैं, छठी मइया उनके परिवार को सुख और समृद्धि से भर देती हैं। चार दिवसीय छठ महापर्व का कल यानि 11 नवंबर गुरुवार को समापन हो रहा है। इस दिन सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है। इस दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर जमकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतजार करते हैं। सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित किया जाता है, इसके बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं। आशीर्वाद लेने के बाद व्रती अपने घर आकर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर व्रत को खोलते हैं। व्रत खोलने के बाद स्वादिष्ट पकवान आदि खाए जाते हैं और इस तरह पावन व्रत का समापन होता है।
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