चैत्र नवरात्रि और नव संवत्सर को कई प्रदेशों में अलग नामों से भी मनाया जाता है, जानें विक्रम संवत के बारे में - Daily Lok Manch PM Modi USA Visit New York Yoga Day
October 15, 2025
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चैत्र नवरात्रि और नव संवत्सर को कई प्रदेशों में अलग नामों से भी मनाया जाता है, जानें विक्रम संवत के बारे में

2 अप्रैल का दिन हिंदू संस्कृति और धार्मिक दृष्टि से बहुत ही खास दिन है। कल से 9 दिनों तक शुभ कार्यों की दृष्टि से बहुत ही सर्वोत्तम है। शनिवार से चैत्र नवरात्र के साथ हिंदू नव संवत्सर की भी शुरुआत हो रही है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष से नवरात्रि की शुरुआत होती है। वहीं साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो रहा है। संवत्सर या फिर विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक विक्रम संवत के प्रथम दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी। प्रभु श्रीराम और धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी विक्रम संवत के प्रथम दिन हुआ था। हिंदू नववर्ष के प्रथम दिन से ही नया पंचाग शुरू होता है। विक्रम संवत 2078 खत्म होकर 2079 शुरू हो जाएगा। अलग-अलग प्रदेशों में इसे अलग तरीके से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक इस दिन को उगादी, पंजाब में बैसाखी और सिंधी चेती चंडी के नाम से मनाते हैं। चैत्र नवरात्रि को लेकर देशभर के देवी मंदिरों को खूब सजाया गया है। 9 दिन पूरे भक्त दुर्गा माता की आराधना करते हैं। इन दिनों मां वैष्णों देवी जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है। बता दें कि हिंदू संवत्सर का शुभारंभ जिस दिन से होता है, उस दिन के ग्रह को नए संवत्सर का राजा माना जाता है। हिंदू संवत्सर 2079 में न्याय का देवता माने जाने वाले शनिदेव नववर्ष के स्वामी यानी राजा हैं। साथ ही पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान और महात्वाकांक्षाओं को पूरा करने वाले बृहस्पति हिंदू नववर्ष के मंत्री होंगे। 2 अप्रैल, प्रथम नवरात्र को देवी के शैलपुत्री रूप का पूजन किया जाता है। 3 अप्रैल, नवरात्र की द्वितीया तिथि को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। 4 अप्रैल, तृतीया तिथि को देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है। 5 अप्रैल, नवरात्र पर्व की चतुर्थी तिथि को मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है। 6 अप्रैल, पंचमी तिथि को भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। 7 अप्रैल, षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। 8 अप्रैल, सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। 9 अप्रैल, अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है, इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं। 10 अप्रैल नवमी तिथि को देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।

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