Budget 2024 : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट आज
July 28, 2025
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Budget 2024 : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट आज, टैक्स में कितनी मिलेगी राहत नौकरीपेशा और मिडिल क्लास लोगों की लगी निगाहें

वित्त मंत्री का भाषण 23 जुलाई 2024 को सुबह 11 बजे शुरू होगा। एक दिन पहले वित्त मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा या आर्थिक सर्वे पेश किया। इसमें कहा गया कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की GDP ग्रोथ रेट चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 से सात प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। आम बजट में नई पेंशन प्रणाली और आयुष्मान भारत जैसी सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लेकर कुछ घोषणाएं हो सकती है। हालांकि, आयकर के मामले में राहत की उम्मीद कम है।उनका यह भी कहना है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन बढ़ने और सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाये जाने की संभावना है। बजट में संभावना है कि टैक्स पर राहत मिल सकती है। इसके लिए स्लैब में बदलाव किए जा सकते हैं। खासकर नई टैक्स रिजीम में कुछ बदलाव संभव हैं। नई और पुरानी दोनों टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाई जा सकती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2024-25 के लिए लगातार सातवीं बार और नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार यानी 23 जुलाई को लोकसभा में पेश करेंगीं। बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर जाने-माने अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बजट में एनपीएस और आयुष्मान भारत पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद है।

पेंशन योजनाओं को लेकर राज्यों के स्तर पर काफी चर्चा हुई है। केंद्र सरकार ने एनपीएस (नई पेंशन प्रणाली) को लेकर समिति भी गठित की थी। प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत के बारे में कुछ बातें कही हैं। ऐसे में दोनों योजनाओं में कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा सकती है।

लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में कर मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति कहा कि मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का डायरेक्ट टैक्स नीति पर असर पड़ेगा। चूंकि निजी खपत चिंता का विषय है, ऐसे में जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए, खासकर तब जब कर संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। चतुर्वेदी ने भी कहा, कि मुझे नहीं लगता कि बजट में इस संबंध में कुछ होगा।

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