उत्तराखंड में चार धाम में से गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। इस बार चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इससे स्थानीय लोगों, चार धाम यात्रा से जुड़े कारोबारियों और राज्य सरकार की राजस्व में बंपर आमदनी हुई है। इससे उत्तराखंड की धामी सरकार गदगद है। शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड के नाम रहेगा। पीएम मोदी की यह वाणी सत्य साबित हुई है। इस बार उत्तराखंड में ऐतिहासिक चारधाम यात्रा हुई है। 45 लाख से ज्यादा श्रद्धालु यात्रा में पहुंचे हैं और अभी भी श्रद्धालुओं का आना जारी है। इस यात्रा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने भी प्रसाद योजना के तहत अच्छा मुनाफा कमाया है। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र से सहयोग से विभिन्न योजनाओं पर कार्य जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि गुलामी के प्रतीकों को हटाने की दिशा में उत्तराखंड सरकार अब पहल करने जा रही है।
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बता दे कि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दौरान सर्वाधिक राजस्व की प्राप्ति होती है। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण केदारनाथ धाम बन चुका है। हर साल यहां यात्रियों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हो रही है। इस बार जब केदारनाथ यात्रा शुरू हुई तो यह बात न केवल राज्य सरकार को बल्कि मंदिर समिति को पता थी इस बार की यात्रा में कई तरह के रिकॉर्ड कायम होंगे। दो सालों से महामारी के चलते यात्रा में चार धाम यात्रा करने के लिए श्रद्धालु कम आ रहे थे। इस बार चारों धामों के कपाट खुलने के साथ ही श्रद्धालुओं की भीड़ शुरू हो गई थी।
केदारनाथ यात्रा में इस बार घोड़े खच्चर वालों ने बंपर कमाई की है। कमाई के मामले में घोड़े-खच्चर वालों ने हेली कंपनियों को भी पीछे छोड़ दिया। एक अनुमान के मुताबिक घोड़े खच्चर वालों ने इस बार केदारनाथ यात्रा में एक अरब से अधिक का कारोबार किया है। वहीं अगर हेली कंपनियों की बात करें तो उन्होंने लगभग 75 करोड़ से अधिक का कारोबार किया ।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केदारनाथ धाम में इस बार घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी व्यवसाइयों ने करीब 101.34 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार किया, जिससे सरकार को भी 8 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ। श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम बनाने के लिए प्रशासन ने इस बार 4,302 घोड़ा मालिकों के 8,664 घोड़े-खच्चर पंजीकृत किए थे और इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक पहुंचे। उधर, यमुनोत्री में घोड़े-खच्चरों वालों ने 21.75 करोड़ रुपये का कारोबार किया और यह आंकड़ा भी नया रिकार्ड है। यमुनोत्री धाम में लगभग 2,900 घोड़े-खच्चर पंजीकृत किए गए थे। वहीं हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों ने भी 75.40 करोड़ रुपये का कारोबार किया। यही नहीं गाड़ियों की पार्किेंग से भी सरकार को अच्छी आय हुई। सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से राज्य सरकार को भी लगभग 75 लाख रुपये का राजस्व मिला। इसके अलावा चारधाम यात्रा मार्ग के सभी होटल, होमस्टे, लॉज और धर्मशालाएं भी पिछले 6 माह तक लगातार बुक रहीं। काफी समय से आर्थिक नुकसान झेल रहे सरकारी उपक्रम गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को भी इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय हो चुकी थी। अतिथि गृहों का संचालन करने वाले जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि यह आंकड़ा 50 करोड़ रुपये के करीब पहुंचने का अनुमान है। चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले सालों की औसत आय से तीन गुना अधिक का कारोबार किया है।
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इस बार केदारनाथ यात्रा विभिन्न महिला समूहों के लिए सौगात लेकर आई। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के दौरान कई महिला संगठनों ने भी प्रसाद और स्थानीय उत्पादों को बेचकर लाखों रुपए की कमाई की है। बता दें कि करीब 20 महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार चौलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग आदि पहुंचता है। इसके अलावा गंगा जल के लिए पात्र एवं मंदिर की भस्म भी प्रसाद पैकेज का हिस्सा हैं। पूरे पैकेज की कीमत 250 रुपए निर्धारित की गई है। जिसके अतिरिक्त 50 रुपए मंदिर समिति एवं हैली कंपनियों को राॅयल्टी दी जाती है। इस बार की केदारनाथ यात्रा में विभिन्न महिला समूहों ने 48 लाख का कारोबार किया। यात्रा में इस बार 100 से अधिक महिलाओं को सीधा रोजगार मिला। चारधाम यात्रा के सफल संचालन एवं यात्रियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि का ही परिणाम है कि केवल प्रसाद विक्रय कर महिला समूहों ने लगभग 44 लाख का कारोबार किया है। जिससे 100 से अधिक महिलाओं को सीधा रोजगार प्राप्त हुआ है। वहीं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने केदारनाथ धाम यात्रा को सफल एवं सुगम बनाने के लिए तीर्थ पुरोहित समाज, मंदिर समिति, व्यापार मंडलों, जनप्रतिनिधियों, घोड़ा-खच्चर संचालकों, टैक्सी यूनियन समेत यात्रा से जुड़े सभी लोगों एवं संस्थानों का धन्यवाद दिया। साथ ही जिले के सभी अधिकारियों, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, यात्रा मैनेजमेंट फोर्स, आपदा प्रबंधन, जल एवं विद्युत निगम, सफाई कर्मचारियों और मीडिया का धन्यवाद देते हुए यात्रा के सफल संचालन की बधाई दी। उन्होंने कहा कि यात्रा मार्ग पर प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए शुरू की गई क्यूआर कोड योजना से प्लास्टिक निस्तारण में काफी मदद मिली। हर साल अप्रैल-मई में चारों धाम के कपाट खोले जाते हैं। इन चारों धामों के कपाट खुलने और बंद होने की धार्मिक और विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है।