केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए आज केंद्र की मोदी सरकार ने बड़ी अच्छी खबर सुनाई। गुरुवार को केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनधारी बेसब्री से 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का इंतजार कर रहे थे और सरकार ने इनको ये सौगात दे दी है। जल्दी ही इसके लिए कमिटी का गठन होगा और 8वें वेतन आयोग को बनाने की प्रक्रिया चालू कर दी जाएगी। आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई और पीएम मोदी की अध्यक्षता में इस फैसले पर मंजूरी दे दी गई। केंद्र सरकार हर 10 साल में नया वेतन आयोग लाती है। अभी 7वां वेतन आयोग चल रहा है, इसका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को खत्म होगा। साल 2026 से 8वां वेतन आयोग लागू हो जाएगा।
कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वैष्णव ने यह भी बताया कि 8वें वेतन आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। 8वें वेतन आयोग के लागू होने से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार के इस फैसले का लाभ करीब 1.20 करोड़ मौजूदा कर्मचारियों और पेंशनर्स को होगा। 8वें वेतन आयोग को मंजूरी मिलने की घोषणा बजट 2025 की घोषणाओं से कुछ दिन पहले की गई है। हालांकि अश्विनी वैष्णव ने पुष्टि की है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग को मंजूरी मिल गई है, लेकिन इसे कब लागू किया जाएगा, इसकी तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 8वें वेतन आयोग को गठित करने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट के एजेंडा में यह फैसला नहीं था, लेकिन माननीय प्रधानमंत्री जी ने केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि 7वें वेतन आयोग का टर्म 2026 में खत्म होना है, उससे काफी पहले ही नए वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है, ताकि उसकी सिफारिशें वक्त पर मिल जाएं और उन्हें समय पर लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि एक साल पहले प्रक्रिया शुरू करने से आयोग को सिफारिशें देने और सरकार को उनकी समीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।
जस्टिस अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता वाले 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को पूरा होना है। इसी वजह से केंद्र सरकार के कर्मचारी और उनके संगठन 8वां वेतन आयोग बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे थे। केंद्र सरकार की तरफ से आम तौर पर हर 10 साल में नया वेतन आयोग गठित किया जाता है ताकि कर्मचारियों के वेतन के ढांचे में संशोधन किया जा सके और पेंशन भुगतान तय किया जा सके। 1947 से अब तक सात वेतन आयोग बनाए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने 7th Pay Comission की सिफारिशों को जनवरी 2016 में लागू किया था। इन सिफारिशों में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 14% की बढ़ोतरी करना शामिल था। 7th Pay Comission से पहले, चौथे, पांचवें और छठें वेतन आयोग का कार्यकाल भी 10 साल का रहा था।
बढ़ती महंगाई से कर्मचारियों और पेंशनर्स को राहत देने के लिए हर दस साल पर वेतन आयोग गठित किया जाता है। पहला वेतन आयोग जनवरी 1946 में बनाया गया था। दूसरा वेतन आयोग अगस्त 1957 में बना था और इससे सरकारी खजाने पर 40 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था। तीसरा वेतन आयोग अप्रैल 1970 में बना था जिससे सरकार पर 144 करोड़ का बोझ पड़ा था। इसके बाद चौथा वेतन आयोग जून 1983 में गठित किया गया था। इसकी सिफारिशों को लागू करने से सरकारी खजाने पर 1,282 करोड़ का बोझ पड़ा था।पांचवां वेतन आयोग अप्रैल 1994 में बना था। इससे सरकारी खजाने पर 17000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था। छठा वेतन आयोग अक्टूबर 2006 में बनाया गया था और इससे सरकार को 40000 करोड़ रुपये का बोझ वहन करना पड़ा था। सातवां वेतन आयोग फरवरी 2014 में गठित किया गया था जिसकी सिफारिशें 2106 में लागू हुई थी। इससे सरकारी खजाने पर 114000 करोड़ को बोझ पड़ा था। अब सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।